Samadhan Episode – 00061 Parents Problems

CONTENTS :

1.  कर्म गति के अनुसार कर्मों का फल

2.  आजकल जो ये अफेयर्स है ये मनुष्य के मन को विचलित कर रहे हैं

3.  अपने आपको निगेटिवीटि से कैसे बचाए?

4. जादू-टोना कर दिया है  तो हम इससे कैसे बचे?

 

रूपेश भाई :- नमस्कार आदाब सत श्री अकाल, स्वागत है मित्रो एक बार पुनः समाधान

कार्यक्रम में जहाँ हर समस्या का आपको समाधान प्राप्त होता है समाधान हरेक व्यक्ति

की चाहना होती है  खुशहाली हरेक व्यक्ति की चाहना होती है लेकिन समस्याएं कहीं

न कहीं उसके जीवन में अंधकार ले आती हैं, उसके जीवन में कांटे बो देती है और

खुशहाली को छीन कर चली जाती है। समाधान के माध्यम से हमारा प्रयास यही है कि

आपका जीवन वैसा ही खुशहाल हो, वैसा ही सुगंधित हो जैसा आप चाहते हैं। हरेक का

स्वप्न ही ये होता है कि वो जीवन का सम्पूर्ण आनंद प्राप्त करें और समाधान का यही

प्रयास है इसलिए हम हर बार आपके सम्मुख आते हैं आपके प्रश्नों को लेकर, आपकी

समस्याओं को लेकर ताकि आपको उनका सहज सरल आध्यात्मिक समाधान प्राप्त

हो और आपका जीवन खुशहाल हो।  इस समाधान में हमेशा हमारे साथ होते हैं

आदरणीय राजयोगी ब्रह्माकुमार सूर्य भाई जी, जो अपने अनुभवों से हमारे जीवन को

प्रकाशित करते हैं, हमें समाधान प्रदान करते हैं। आइए इस कार्यक्रम में उनका स्वागत

करते हैं, भ्राता जी आपका बहुत-बहुत स्वागत है, भ्राता जी बहुत सारे मेल्स जैसे कल

भी हमने लिए थे अब भी हमारे पास बहुत सारे मेल्स है तो एक-एक करके हम उन सभी

के प्रश्नों को लेना चाहेंगे ताकि उन सभी के प्रश्नों के उत्तर मिले और उनका समाधान

उन्हें प्राप्त हो सके।

 

सूर्य भाई जी :- बिल्कुल हम अपना जीवन ही ऐसा जीयें, मैं ये बात कहना चाहूँगा सभी

दर्शकों को जीवन जीने का तरीका ही ऐसा हो कि समस्यायें कम से कम आयें और अगर

आ भी जाए तो हम उन्हें सहज भाव से लें और फिर उन्हें विवेकयुक्त होकर समाप्त करें,

समाधान करें। कईयों का सोचने का तरीका ऐसा होता है, संस्कार ऐसे होते है, व्यवहार

ऐसा होता है कि वो हर कदम पर समस्यायें क्रियेट करने लगते हैं तो हमें अपने जीवन में

इस बात पर बहुत ध्यान देना है कि हम इस तरह से जीवन जीयें जो समस्याओं की आँधी

हमारे पास न आ जाए। हमें लगे कि जीवन में कोई समस्या नहीं है और अगर है भी तो

जीवन में समस्यायें आती हैं, चली जाती हैं, कोई बात नहीं, आई हैं, जायेंगी भी।

 

रूपेश भाई :- जी, तो दो बात हो गयी भ्राता जी, एक तो समस्या रहे ही न और दूसरी यदि

समस्या आ भी जाती है तो उन्हें हम सहज भाव से उनका समाधान करें।

 

सूर्य भाई जी :- प्रश्न पढने से पहले मुझे एक बात और याद आ गई, एक बहन इतनी स्ट्रांग

हुई कि उसने मुझे कहा, बड़ी हंसी में कहा कि परेशानियाँ तो मुझे परेशान कर करके

परेशान होकर चली गयी हैं। मुझे बड़ा अच्छा लगा कि परेशानियों ने मुझे परेशान करना

चाहा पर मैं परेशान हुई ही नहीं इसलिए वही परेशान होकर चली गई।

 

रूपेश भाई :- जी, और एक युवक की भी बात भ्राता जी आपके बात से याद आई वो एक

महापुरुष के पास पहुंचे ओर उन्होंने कहा कि मुझे ऐसी जगह बताइये जहां कोई परेशानी

हो ही ना, तो वो महापुरुष उन्हें एक शमशानघाट में ले गया और कहा कि यहीं लेट जा,

यही वो जगह है जहां तेरे पास कोई परेशानी नहीं आएगी| तो जीवन में खैर छोटी मोटी बातें

तो आती ही हैं। बात ये है कि हम उन्हें हैंडल कैसे करते हैं। यदि हम बहुत शश्क्त हैं,

शक्तिशाली हैं तो निश्चित रूप से हमें वो बातें सहज और हल्की लगती है। तो भ्राता जी मैं

पहला मेल ले रहा हूँ, ये मेल हमारे पास आया है अमलनेर से और करुणा जैन जी लिख

रही हैं कि मेरी सात साल की बेटी मुझसे बहुत बुरा व्यवहार करती है, मुझे जैसे खाने को

दोड़ती है, इससे मैं बहुत परेशान रहती हूँ, वो अपने भाई और पिता के साथ बहुत अच्छी

है लेकिन मेरे साथ ही बहुत बुरा व्यवहार करती है, ऐसे में मैं क्या करूँ?

 

सूर्य भाई जी :- ये प्रश्न कुछ परिवारों में आ रहे हैं समस्यायें बनकर, तो देखिये ये जो आत्मायें

अब जन्म ले रही हैं। हम सबको जानना चाहिए किसी परिवार में हम 5-7 सदस्य इकट्ठे हुए,

पहले तो कोई किसी से परिचित नहीं था। भाई कहीं था तो बहन कहीं थी दोनों की शादी हुई,

मेल हुआ, परिचय हो गया, बच्चे के बारे में किसी को कोई ज्ञान नहीं था, बच्चे आए जन्म

लिया तो ये जो हमारे परिवार बन रहे हैं इसमें ये बात सत्य है, इस सत्य को जानना ही चाहिए,

मानना ही चाहिए कि जन्म-जन्म के जिन आत्माओं से हमारे साथ कर्मों के गहन संबंध हैं,

वही हमारे परिवार में आ रही हैं। उनमें सत्कर्म अच्छे भी हुये है, पुण्यकर्म भी और कुछ बुरे

कर्म भी, पाप कर्म भी तो ऐसे केसेज हमारे पास आते रहते हैं कि कमला जैन के परिवार

में 7साल की लड़की है वो माँ को देख कर खुश नहीं। जैसा उसने लिखा कि वो अपने पिता

और छोटे भाई से बहुत प्यार करती है लेकिन जब मम्मी को देखती है तो उसकी आँखें लाल

हो जाती हैं। इसका बिलकुल सीधा सा कारण है कि पूर्व जन्म में इस आत्मा कमला जैन ने

बच्चे की जो आत्मा थी उसे बहुत सताया है, कष्ट दिया है, बुरा व्यवहार किया है, उसको हार्ट

किया है बहुत ज्यादा तो उसके मन में जो क्रोध और बदले की भावना भरी हुई है वो अब

यहाँ प्रैक्टिकल में कंटिन्यू है और कार्य कर रही है इसलिए ये बहुत जरूरी है कि हम किसी

को हार्ट न करे, हम किसी का दिल ना दुखायें, हम किसी को परेशान ना करें, किसी को बहुत

मारपीट कर देते हैं क्रोध के वश। हम ये भूल जाते हैं कि कर्म गति के अनुसार कर्मों का फल

सबके सामने आएगा ही। और कई लोग ऐसा पापकर्म करते हैं और एंजॉय भी करते हैं और

कई लोग ऐसा करते बड़ा इनर-सेटीस्फेक्शन फील करते हैं कि हां हमने इसको सीधा कर

दिया| खुश होंगे लेकिन वो सामने तो आता ही है। जैसे मान लो किसी ने किसी का मर्डर कर

दिया और कोर्ट से वो ले-देकर बरी हो गया, अब उसे तो पता है ना कि मैंने मर्डर किया था,

बरी तो वो हो गया, वो सब उसके सबकांसियस माइंड में भरा हुआ है कि मर्डर तो तुमने ही

किया था किसी भी तिकड़मबाजी से तुम बच निकले हो तो उसको उसकी सजा मिलेगी ही

क्योंकि वो तो नहीं भूल पाएगा ना उसे, तो वो इस जन्म में मिले या अगले जन्म मे मिले। तो

कमला जैन की लड़की का यही कर्मों का संबंध है इसलिए एक ही तरीका है इनके पास बहुत

अच्छा, ये राजयोग की थोड़ी प्रेक्टिस करें और अपनी इस लड़की से सवेरे उठते ही मन ही

मन क्षमा-याचना करनी होगी इन्हें कम से कम 7 दिन तक। तो इसका तरीका यही अपनाना

है कि सवेरे उठे आँख खुले, थोड़ा भगवान को याद करे थोड़ा कर्मों की गति को भी याद करें

और फिर इस गुड फिलिंग में आ जायें कि मैं भगवान की संतान हूँ, मैं महान हूँ इसलिए महान

व्यक्ति को क्षमा-याचना करने में लज्जा नहीं तो बिल्कुल सच्चे मन से स्वीकार करते हुये अपनी

बच्ची को सामने इमर्ज करें, स्वीकार करें कि- हे आत्मा मैंने पूर्व जन्मों में तुम्हें जो कष्ट दिया है

मैं सच्चे मन से हाथ जोड़कर तुमसे क्षमा-याचना करती हूँ तो अगर ये सच्चे मन से क्षमा-याचना

करेगी। 3बार कर ले रोज सवेरे ही सवेरे तो 7दिन में ही उसका चित शांत हो जाएगा, लड़की

बिल्कुल शांत हो जाएगी ओर उसका व्यवहार माँ के प्रति वैसा ही हो जाएगा जैसा भाई और

बाप के प्रति है। मेरे पास ऐसे अनुभव हैं, ऐसा ही केस एक मेरे पास आया था बिल्कुल ऐसा ही,

जिसमें छोटी एक लड़की अपनी माँ के प्रति बिल्कुल वॉयलेंट थी, बिल्कुल उसे चैन से नहीं बैठने

देती थी अगर वो खाना बना रही है तो उसको परेशान कर रही है अगर मम्मी टी.वी. देखती है

तो देखने नहीं देती है बंद करती है बार-बार अगर वो सोने जा रही है तो उसको सोने नहीं देती।

तो मेरे पास आई वो, उसके चेहरे पर बहुत उदासी थी माँ के, मैंने उसे पूछा तुम हमारे इतने

सुंदर आश्रम में आई हो। यहां आते ही सबका चित शांत हो जाता है तुम्हारे चेहरे पर ये परेशानी

क्यों नज़र आ रही है तो उसने बताया कि मैं इसी समस्या को लेकर आपके पास आई हूँ और

ये समस्या लड़की की है तो  जब मैंने उसको क्षमा-याचना करनी सिखाई और उसने मान लिया

यही बात है लगता है मुझे तो इसने जो क्षमा-याचना की, 7 दिन में लड़की शांत हो गयी, स्वीट

हो गयी ओर माँ बेटी का प्यार जो होना चाहिए वो फिर से प्रारम्भ हो गया।

 

रूपेश भाई :- तो ये भी अभ्यास प्रारम्भ करे निश्चित रूप से ये जो कड़वाहट है जो पूर्व

जन्मों से शायद चली आ रही है कड़वाहट दूर होगी और संबंध सरल हो जाएंगे, सहज

हो जाएंगे ओर प्रेमयुक्त हो जाएंगे। ये जो आगे बढना चाहिए इसे की इस प्रकार से जो

नफरत की बात आ गयी है चाहे किसी भी कारण से, जैसा आपने कहा की पूर्व जन्म

की बात है तो सहज रूप से, क्षमा भाव से इसे दूर किया जा सकता है।

 

सूर्य भाई जी :- बिल्कूल बिल्कुल, सम परिवारों में ये देखने में आता है ये, ऐसा ही केस

कि एक व्यक्ति दूसरे को देखना नहीं चाहता वो कहता है कि भाई मैंने तुम्हारा बिगाड़ा

क्या है, मेरी तो कभी लड़ाई नहीं हुई, मैंने तुम्हें कभी बुरा नहीं बोला, कभी अपमान नहीं

किया। तो ये पूर्व जन्मों से चले आ रहे कर्मों का इफेक्ट होता है जो सब-कोंसियस माइंड

में तो समाया ही रहता है, मनुष्य बाहरी रूप से कोंसियसली भूल जाए लेकिन सब-कोनसियसली

उसकी स्मृति पटल पर वो अंकित है वो काम करता रहता है।

 

रूपेश भाई :- बिल्कुल, भ्राता जी मैं अगले प्रश्न की ओर आ रहा हूँ, ये प्रश्न हमारे पास आया

है पुणे से सोनल-कुलकर्णी लिख रही है कि मैं एंजीनियरिंग की स्टूडेंट हूँ, मैं दिनभर पढ़ती

हूँ लेकिन मुझे कुछ याद नहीं होता। कॉलेज में जब प्रोफेसर पढ़ा रहे होते हैं तब भी मैं अपने

आप को एकाग्र नहीं कर पाती तो इससे मुझे बहुत टेंशन रहता है क्योंकि मैं पढ़ तो रही हूँ

लेकिन याद नहीं हो रहा है, मुझे क्या करना चाहिए?

 

सूर्य भाई :- मिस सोनल को मैं एक बात कहूँगा, बुरी ना लगे इनको, बिल्कुल अपने को चेक

करें मन कहाँ भटक रहा है! जरूर मन को कहीं विचलित किया है इन्होंने, तो वो एकाग्र

नहीं हो रहा तो जब इनके लेक्चरर इनको पढाते हैं तो वो कुछ और सोचती है। सवेरे से ही

उसके मन पर किसी और चीज़ का इफेक्ट है और आजकल जो इफेक्ट है वो आप जानते

है यही होता है किसी का किसी से प्यार हो गया, उस प्यार में कहीं कड़वाहट चल रही है

उस प्यार, उस रिलेसनशिप मे सबकुछ अच्छा नहीं चल रहा है। लड़के ने कुछ बुरा बोल

दिया है, इसने कुछ बुरा बोल दिया है उसका इफेक्ट इनके ऊपर आ रहा है तो जो ये अफेयर्स

है ये मनुष्य के मन को विचलित कर रहे हैं इसलिए स्टूडेंट लाइफ में मनुष्य को प्योर रहना,

इन संबंधो को थोड़े समय के लिए पोस्ट्पोन्ड कर देना कि पढ़ाई पूरी हो जाए हम अच्छी

जॉब में आ जाए फिर हम इन सब सम्बन्धों को जोड़ेंगे, निभाएंगे। तो ये जो अफेयर्स

चलते हैं यही कहीं ना कहीं कारण बनते हैं इन बच्चियों के मन को भटकाने के लिए

और उनको इसका आभास नहीं होता जब वो नाता जोड़ती है। वो तो बरबस किसी

की ओर खिंची चली जाती है और वहाँ जब उनको धोखा मिलता है, अपनापन नहीं

मिलता, जो ऐक्सपेक्टेशन वो रखती थी उस पर दूसरा व्यक्ति खरा नहीं उतरता तो

इनका मन बहुत विचलित हो जाता है तो मुझे पूर्ण विश्वास है इस कन्या के साथ भी

यही हुआ है तो जरा उस चीज़ से इन्हें अपने को डिटेच करना होगा। क्योंकि अब

इनकी एजुकेशन का समय है अगर ये इस एजुकेशन में सफल ना हुई तो प्रेम के

फील्ड में भी वो सफल नहीं होंगी क्योंकि एक चीज़ का इफेक्ट दूसरे पर आता है।

हो सकता है माँ-बाप इनके जीवन में फिर कोई बंधन डाल दें तो जिस फील्ड पर

मनुष्य कार्य कर रहा है उसे उस समय उसी पर पूरा कोंस्ट्रेट करना चाहिए। अगर

वो काम एक जगह कर रहा है मन दूसरी जगह भटक रहा है तो उसकी बुद्धि वहाँ

स्थिर होगी नहीं इसलिए इनको इस बात पर ध्यान देना चाहिए लेकिन मैं एक छोटी

सी विधि राजयोग की इनके सामने रख रहा हूँ जिसके माध्यम से ये दोनों ओर से

ठीक हो सकती है। उधर से बच जाएगी ओर इधर इनकी एकाग्रता अच्छी हो जाएगी

ओर वो ये अभ्यास करे की मैं आत्मा हूँ, आत्मा यहाँ दोनों भृकुटियों के बीच रहती है,

आत्मा बहुत सूक्ष्म पॉइंट ऑफ एनेर्जी है ये देह हमारा अलग है ओर मैं आत्मा अलग हूँ,

देखिये देह तो तब भी होता है जब मनुष्य की मृत्यु हो जाती है लेकिन असली सता,

असली चेतन शक्ति आत्मा है जो उससे निकल जाती है। तो यहाँ आत्मा है, मैं हूँ यहाँ,

पॉइंट ऑफ एनेर्जी हूँ अपने पर थोडा कोंस्ट्रेट करे ये 10सेकंड से प्रारम्भ करे ओर

1मिनट तक ले चले ओर ऐसा दिन मे 5बार करे सवेरे उठते ही कॉलेज जाने से पहले

ही 2-3 बार कर ले मैं आत्मा यहाँ बैठी हूँ, चाहे आंखे बंद करके करे या खोल कर करे,

कोई बात नहीं। आत्मा के स्वरूप को देखे ओर एक संकल्प दे मैं आत्मा पीसफुल हूँ,

मैं आत्मा प्योर हूँ बस यही संकल्प मैं आत्मा पीसफुल हूँ, मैं आत्मा प्योर हु ऐसा 7 बार

रिपीट कर ले आत्मा को विजुवलाइज करे ऐसा 7बार ये संकल्प रिपीट करे मैं आत्मा

पीसफुल हूँ, मैं प्योर हूँ तो धीरे-धीरे दूसरी चीज़ का जो निगेटिव फोर्स इनके ऊपर आ

गया है वो हट जाएगा ओर मन एकाग्र होने से बुद्धि पढ़ाई में लगने लगेगी ओर इनकी

समस्या समाप्त हो जाएगी। साथ में मैं ये भी जोड़ दूँ कभी-कभी कुछ स्टूडेंट्स के

साथ ऐसा भी हो रहा है की उनके समझ में नहीं आता उनका मन भटक क्यों रहा है,

क्यों उनकी बुद्धि एकाग्र नहीं हो रही। मैं स्टूडेंट्स से पुछा करता हूँ की टी.वी. कितना

घंटा देखते हो? कई बताते है बिलकुल नहीं, इंटरनेट पर? कहा हम खोलते ही नहीं,

मोबाइल? तो कहा बहुत जरूरी काम हो तो बात करते हैं, नहीं तो नहीं फिर उनकी

समझ में नहीं आ रहा उनका मन क्यों भटक गया है। तो इसमे जैसे हम चर्चा करते

आ रहे है पूर्व जन्मो की ओर हमारे चारो ओर के निगेटिव वातावरण की, हमारे चारो

तरफ निगेटिव बहुत है, ऐसा समझ लीजिये चारो ओर गंदगी ही गंदगी फेली हुयी है।

तो जिस मनुष्य का मन, जिस लड़के ओर लड़की का मन निगेटिव हो जाए एक बार

तो वो बाहर की निगेटिव एनेर्जी को अट्रेक्ट करने लगते है इसलिए भी बहुतों का मन

भटकता है तो इससे बचने के लिए ये अभ्यास जो हमने सिखाया, ये दो पॉज़िटिव

थॉटस बताए मैं पीसफुल हूँ आत्मा ओर प्योर हूँ इससे वो सेफ हो जाएंगे ओर बहुत

जल्दी 2-4 दिन में ही, किसी किसी का तो 1 दिन में ही हो जाता है, किसी का 3 दिन

में बुद्धि एकाग्र हो जाएगी ओर फिर से इनका पढ़ाई के लिए इन्टरेस्ट पैदा हो जाएगा,

ये अपनी पढ़ाई को एंजॉय करेंगे ओर समस्या समाप्त।

 

रूपेश भाई :- बिलकुल, तो अपने आपको निगेटिवीटि से थोड़ा बचाए, यदि कहीं

रीलेंसन्सिप में ऐसी कोई बात है या अन्य कोई बात है तो उससे अपने आपको डिटेच

करे, पढ़ाई पर फोकस करे ओर जो आपने आध्यात्मिक अभ्यास बताया उस अभ्यास

को करे तो निश्चित रूप से इनकी एकाग्रता बढ़ती चली जाएगी। भ्राता जी जो अगला

मेल हमारे पास जो आया है, ये आया है दुर्ग छतीसगढ़ से रामनारायण मिश्र जी लिख

रहे हैं की हमारे घर में बहुत अच्छा बिजनेस है, हमारे पड़ोसियों ने हमारे ऊपर शायद

जादू-टोना कर दिया है ताकि हम डाउन हो जाए तो हम इससे कैसे बचे? ये भी एक

प्रभाव भ्राता जी समाज में बढ़ता हुआ दिखाई देता है की लोग एक दूसरे से ईर्ष्या

करते हैं तो कुछ जादू-टोना के माध्यम से एक दूसरे को डाउन करने की कोशिश

करते हैं।

 

सूर्य भाई जी :- बिलकुल, आजकल तांत्रिक लोग भी पैसे के ऐसे लोभी हो गए है

जिसकी हम चर्चा कर रहे थे धन का लोभ, इच्छाये, स्वार्थ, बदले की भावना बहुत

बढ़ गया है तो तांत्रिकों को कोई लेना-देना नहीं कौन परेशान होगा, उन्हे तो पैसा

मिला, उनकी तो फीस उन्होने कहा बस हमे तो दस हज़ार रूपय दे दो हम ये कर

देते हैं। कई-कई तो लालची होते हैं, व्यक्ति आया है बुरी भावना से कहेंगे पचास

हज़ार दे दो हम तुम्हारा सब काम कर देंगे उसने तो पचास हज़ार ले लिए ओर

तांत्रिक प्रयोग करा दिया ओर दूसरा व्यक्ति परेशान हो रहा है, उसके घर में सबकुछ

बिगड़ गया है, उसका बिजनेस नष्ट होने लगा है। तो ये सब केस हो रहे है लेकिन

तांत्रिको को मैं एक बात बहुत प्यार से कहूँगा की कर्म की गति के अनुसार इस पापकर्म

का फल इनको भी भुगतना पड़ेगा, मैं ऐसे कई तांत्रिको को देख चुका हूँ जिनके 2-2 जवान

बच्चे मर गए, एक-एक हफ्ते के अंतर से मर गए, बिना कारण के मर गए, बिना कारण

माना कोई रोग नहीं हुआ बस मर गए ऐसे ही तब उनका जीवन खाली हो गया, ओर

कोई नहीं बचा परिवार में। तो तांत्रिको को भी क्योंकि वो भी तो मनुष्य हैं ओर उनके

पास भी विवेक है, अपने सदविवेक का प्रयोग करके अपनी तंत्र विद्या को जो वेदों से ही

निकली हुई है, एक पवित्र विद्या है उसका मिस-यूज पापकर्म में कभी नहीं करना चाहिए।

मिश्र जी को मैं ये कहूँगा 2छोटे-छोटे काम वो करे, एक तो रोज सवेरे, विशेष रूप से सवेरे

ओर सोने से पहले, परिवार के जीतने भी सदस्य है शांत में बैठेंगे ओर 108 बार याद करेंगे

मैं भगवान की संतान मास्टर सर्वशक्तिमान हु, इसमे 15-20 मिनट लगाए, इससे क्या होगा,

गुड-फिलिंग अनुभव करेंगे। थोड़ी फिलिंग सहित रिपिट करे, धीरे से करे मैं भगवान की

संतान मास्टर सर्वशक्तिमान हु, तो उनके अंग-अंग से शक्तियों की किरणे पूरे घर में फैलेंगी,

ये काम उन्हे घर में ही करना है इससे उनमे भी शक्ति आएगी ओर घर के वातावरण में भी

वो शक्तियाँ फैल जाएगी ओर ये तंत्र-मंत्र का जो इफेक्ट है वो नष्ट हो जाएगा। मैं सभी के

लिए एक बात कह देता हूँ इसको हम अगले प्रश्नो के उतर में भी रिपीट करना चाहेंगे की

तंत्र-मंत्र की शक्ति इतनी शक्तिशाली नहीं होती की वो सबकुछ नष्ट कर दे, कहीं-कहीं वो

करती भी है परंतु मनुष्य को अपने मनोबल को डाउन नहीं करना चाहिए। ओर ये सभी

मिश्र जी ओर उनका परिवार एक दृढ़ संकल्प करे- हम सर्वशक्तिमान के बच्चे हैं, मास्टर

सर्वशक्तिमान हैं, हम इस तंत्र-मंत्र से अधिक पावरफूल हैं इनका प्रभाव हम पर होगा ही

नहीं हमारा बिजनेस बहुत अच्छा चलेगा। ये जो भय होता है की किसी ने करा दिया,

हमारा तो बिजनेस डाउन होने लगा, अब हम क्या करे तो निगेटिव एनेर्जी पावरफूल

होने लगती है|

 

रूपेश भाई :- कई बार भ्राता जी, बाते होती नहीं, जैसे कहते हैं की रस्सी को भी हम

साँप समझ लेते हैं| कई बार शंका करना या कई बार ये सोचना की किसी ने करा

दिया तो ये हमारी एनेर्जी भी निगेटिव हो गई तो कहीं ना कहीं हम डाउन होते चले

जाते हैं।

 

सूर्य भाई जी :- बिलकुल, मान लो बिजनेस किसी ओर कारण से बिगड़ गया है तो

समझेंगे देखा पड़ोसी ईर्ष्या करता है उसने ही कुछ कराया था, हमने भी देखा था वो

एक दिन हमारे घर में आया था, भले ही वो बेचारा फ्रेंडली आया हो, तो एक ये चीज़।

दूसरी एक चीज़ मैं कहूँगा बहुत अच्छी चीज़ है अपने घर में 9 दिन तक, रात दिन

अखंड एक गाय के घी का दीपक जला दे, मान लो कहीं हो भी गया है तो गाय के घी

से जो लो निकलती है, जो वेव्ज निकलती है वो भी इस निगेटिव एनेर्जी को खत्म कर

देती है। ओर हमे पूर्ण विश्वास है, मिश्र जी भी विश्वास करे की ये चीज़ खत्म होने वाली

है, ये इतनी पाँवरफूल नहीं होती किसी को भी चाहे नष्ट कर दे, आप इसको हरा दे ये

समाधान करेंगे तो बिलकुल ठीक हो जाएगा।

 

रूपेश भाई :- बिलकुल, भ्राता जी अगला जो मेल हमारे पास आया है वो है मऊ- यू.पी. से,

रमेश अग्रवाल जी लिख रहे हैं की हम दोनों पति-पत्नी काम-काजी है, मैं बैंक में हु ओर

मेरी पत्नी टीचर है दोनों घर से ज्यादा समय बाहर रहते हैं इसलिए बच्चो को ज्यादा समय

नहीं दे पाते तो हमे भी ये बात खटकती है लेकिन हम मजबूर है तो इस समस्या का क्या

समाधान हो सकता है? समय नहीं दे पा रहे है बच्चो को, शायद बच्चे भी ज्यादा अकस्पेक्ट

करते होंगे तो इन्हे ये बात खटकती है। क्या किया जाए भ्राता जी, आजकल भागदोड भरी

जिंदगी ऐसी हो गई है, इतने खर्च बढ़ गए है, महंगाई इतनी बढ़ गई है की दोनों को ही

कामकाज करना पड़ता है, बैलेन्स कैसे लाया जाए?

 

सूर्य भाई जी :- हाँ देखिये, अग्रवाल जी से मैं ये बात कहूँगा की बच्चे भी सवेरे उठ कर

स्कूल चले जाते हैं तो वो तो 7बजे ही चले जाएंगे ओर ये तो 9:00 9:30बजे जाएंगे लेकिन

या तो कुछ ऐसा कर ले की जो माता जी है वो थोड़ा पार्ट टाइम जॉब ले, बच्चो को समय

देना तो बहुत आवश्यक है। अगर ऐसे नहीं हो सकता तो अपने घर मे शाम को एक बार

ये एक फ़ैमिली कोन्फ्रेंस अवशय करे मतलब सब आपस मे बैठे मिले, भोजन का समय

हो आपस में मिले, ये नहीं टी.वी. देखे, टी.वी. देखने मे क्या होता है वो टी.वी. देखने में बिज़ि

होते है, वो आपस में तो कुछ कोमुनिकेट करेंगे ही नहीं, टी.वी. देखने के लिए न बैठे।

आपस मे बैठे, एक-दूसरे का हाल-चाल पूछे, माँ-बाप अपने बच्चो की पढ़ाई का, उनकी

तबीयत का, उनके फ़्रेंड्स का, उनका, सब हाल-चाल, एक-आधा घंटा ऐसे व्यतीत करे

की बच्चो को ऐसा लगे की बहुत अच्छा हो गया, बहुत अच्छा हो गया फ़ैमिली लाइफ की

उन्हे फिलिंग होने लगे। नहीं तो क्या होगा माँ-बाप भी आए थके-थकाये, बहन जी ने खाना

बनाया, बच्चो ने पढ़ाई लिखाई, होमवर्क किया, खाना खाये-पिये सो गए तो ये एक ऐसा

रूटीन बन जाता है जैसे मुंबई जैसे बड़े शहरो मे होता है। मुंबई के लोग हँसते है की

कई बच्चो को तो ये भी नहीं पता की उनके डैडी है कौन? तो मम्मी फोटो दिखाती है

की ये तुम्हारे डैडी है क्योंकि वो उनके उठने से पहले ही चले जाते है उन्हे पुणा जाना

है नोकरी के लिए ओर वहाँ से 6बजे ड्यूटि करके रात को आना है 10:00 10:30बजे,

तब तक बच्चे सो जाते है ओर वो जल्दी उनके उठने से पहले ही चले जाते है, उन्हे पता

है की पापा है बस, कौन है, वो कैसे है, ये पता ही नहीं होता। तो इससे क्या है बच्चो के

चरित्र पर, उनके भविष्य पर एक बुरा असर पडता है तो दिनचर्या को थोड़ा सेट करना

चाहिए ओर जब छूटी हो तो छूटी में भी ओर कुछ कामकाज न निकालकर फ़ैमिली लाइफ

को एंजॉय करने का इन्हे एक प्रोग्राम बनाना चाहिए ओर साल में ऐसे दो बार अपने बच्चो

को कहीं आउटिंग पर भी लेकर जाना चाहिए 3दिन की 5दिन की छूटी लेकर ओर फिर

कुछ ऐसा मनोरंजन हो जाए, पिकनिक हो जाए ताकि बच्चो को एक फैमिलियर फिलिंग

हो। उन्हे बिलकुल न्यारा-न्यारापन ना लगे क्योंकि ये वेस्टर्न कल्चर की तरह भारत में भी

सब कामकाजी हो गए है सबके जीवन में भागदोड़, अब उनके माँ-बाप के जीवन में अपनी

भी समस्याए होती है, वो भी थके हारे आते हैं, कुछ टेंशन भी लेकर आएंगे, कोई शरीर में

बीमारिया भी होगी तो उन सबका दबाव भी उनपर रहता है तो वो भी बेचारे क्या करे

इसलिए ऐसा कुछ मैनेज करने से जीवन अच्छा हो जाएगा।

 

रूपेश भाई :- मतलब उनको समय देने का सुंदर तरीका है की साथ में बैठकर भोजन

कर सकते हैं, वीकेंड में कहीं घूमने के लिए जा सकते है या वर्ष में जैसे आपने कहा कहीं

ओर बाहर घूमने का प्रोग्राम बनाया जा सकता है तो आपस में कोमुनिकेसन होता रहेगा

तो बहुत अच्छा रहेगा की ये समस्या पैदा ही नहीं होगी। भ्राता जी मैं अगला प्रश्न लेने जा

रहा हु ये प्रश्न हमारे पास मैसूर से आया है शीला जी लिखती है की उनका जो बेटा है

मानसिक रूप से उतना विकसित नहीं है इसलिए पढ़ाई में जैसे दूसरे बच्चे अच्छे है वैसा

वो परफ़ोर्म नहीं कर पाता है उसे मैं कैसे हेंडल करू ओर उसका भविष्य कैसा हो,

उसके बारे में ये थोड़ी चिंतित है, उसके लिए क्या किया जा सकता है?

 

सूर्य भाई जी :- ये प्रश्न भी, ये समस्या भी कई परिवारों में है की अगर चार बच्चे है, दो बहुत

इंटेलिजेंट है तो एक ऐसा भी निकलता है जिसको थोड़ी कम बुद्धि हो तो मैं इस बहन को

कहूँगा ये थोड़ा सा राजयोग सीखे, थोड़ा सा समय दे उस बच्चे के लिए। ओर मैं तीन विधि

बता देता हूँ विशेष रूप से जिसका प्रयोग करने से ये बच्चे को मदद कर सकती है ओर

देखिये बच्चा तो अभी बच्चा है उसे जीवन की एक लंबी यात्रा तय करनी है। बात केवल

उसके एजुकेसन की नहीं है, उसकी शादी होगी, वो कुछ अपना काम-धंधा करेगा उसको

जीवन चलाना है तो उसकी बुद्धि का विकास तो अच्छी तरह से होना ही चाहिए तो बच्चे

को एक चीज़ कराएंगी माता जी, छोटे बच्चे से ही बात माताओ को करा देनी चाहिए। तो

जैसे ही उन्हे उठाए, उन्हे कहे की तीन बार बोलो मैं बुद्धिमान हु, मैं बुद्धिमान हु, भले ही

बच्चा आँख मलते हुये ही बोले, पर धीरे-धीरे ऐसा कर दे की बिलकुल बच्चा विद कोन्फ़िडेंस

बहुत अच्छी खुशी के साथ ये बोलने लगे की मैं बुद्धिमान हु बिलकुल हाथ भी ऐसे करे,

भले हाथ-मुंह धोले मैं बुद्धिमान हु तो सवेरे के टाइम क्या होता है जब बच्चे उठे तो उनका

सब-कोंसियस माइंड एक्टिव है। तो जैसे ही उन्होने संकल्प खुशी से किया मैं बुद्धिमान हु

तो सब-कोंसियास माइंड ने इसे स्वीकार किया ओर सब-कोंसियस माइंड उसके बुद्धि के

ब्लोकेज को खोलने लगेगा तो ये काम सोने से पहले भी करा दें 3बार ओर जगते हुये भी

करा दे 3बार, इसमे बहुत फायदा होगा ओर धीरे-धीरे बच्चे की बुद्धि का विकास होने

लगेगा। एक दूसरा तरीका है, देखिये राजयोग इसके लिए अवश्य सीखना पड़ेगा की ये

अपने बच्चे को जब पानी पिलाये, दूध पिलाये, भोजन खिलाये, ये तीनों चीजे मैं जोड़कर

एक ही रूप में बता रहा हूँ तो भोजन को दृष्टि देकर, पानी को दृष्टि देकर देखते हुये,

दूध को दृष्टि देकर 7बार संकल्प करे- मैं परमपवित्र आत्मा हूँ। ओर फिर ये संकल्प कर

दे इस पानी को पीने से, इस दूध को पीने से इस बच्चे की बुद्धि का विकास हो बिलकुल

तो दूध, पानी में ये वाइब्रेशन समा जाएंगे ओर वो वही काम करेंगे जो आपने संकल्प कर

दिया, बच्चे के लिए ये बहुत बड़ी दवा हो जाएगी, बेस्ट मेडिसिन हो जाएगी। तीसरी एक

चीज़ मैं ओर सिखाऊँगा देखिये ये बहुत अच्छी थेरेपी है हमे (उस माता को) उस बच्चे के

ब्रेन को हाथो से एनेर्जी देनी है अब उसका तरीका ये है मैं भी करता हु, आप भी हमारे

साथ करे ओर हमारे दर्शकगन सीख लेंगे| हाथ मलेंगे ऐसे ओर 3बार संकल्प करेंगे

मैं परमपवित्र आत्मा हु, मैं परमपवित्र आत्मा हु, मैं परमपवित्र आत्मा हूँ अब देखिये हाथो

को ऐसे छोड़ दो लूज ओर देखो फील करो एनेर्जी एट्राक्स्न, ये एनेर्जी आ गयी हाथो में तो

जो संकल्प किया था ना की मैं परमपवित्र आत्मा हु वो पवित्र एनेर्जी हाथो से निकलने लगी।

अब इस माता को चाहिए ये दोनों हाथ इस बच्चे के सिर पर रख दे, आंखे बंद कर ले बच्चा

ओर एक मिनट तक रखे ये प्योर एनेर्जी ब्रेन को जाएगी ओर संकल्प करे ये एनेर्जी इसके

ब्रेन का विकास करे 1मिनट। ऐसा 5बार कर दे यानि 5मिनट सवेरे एनेर्जी दे ब्रेन को, 5मिनट

रात को देदे तो ब्रेन को प्योर एनेर्जी जाने से ब्रेन के कई ब्लोकेज खुल जाएंगे ओर ब्रेन का विकास

हो जाएगा तो ये तीन विधि अपनाएँगे तो निश्चित रूप से बच्चे के..

 

रूपेश भाई :- ये बहुत बड़ी समस्या है ओर बहुत सुंदर ओर सरल समाधान भ्राता जी ने,

आपने बताया की एक तो सुबह उठते ही मैं बहुत बुद्धिमान हु तीन बार बोले ओर रात को

सोते समय भी बोलिए ओर जब भी माता जी दूध, पानी या जो भी चिजे लिक्विड फोम में पिलाती हैं,

मैं परमपवित्र आत्मा हु इस संकल्प के साथ दृष्टि देते हुये उसे पिलाये। ओर साथ ही जो अब

आपने कहा बहुत सुंदर, अपने हाथो को मलते हुए ब्रेन को एनेर्जी दे, बहुत सुंदर रिजल्ट

इससे हो सकता है ऐसा भी मुझे महसूस हो रहा है जैसे हाथ से ऊर्जा निकलती है महसूस

हो रही है। भ्राता जी आज आपने जो भी समाधान दिये हमारे दर्शको को, निश्चित रूप से

इससे दर्शक लाभान्वित होंगे आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। दर्शको, आपने आज के जो

प्रश्न सुने, आज जो समास्याए सुनी, संभव है की आपके जीवन में या आपके आसपास भी

इस प्रकार की समस्या को लिए हुए लोग हो, आप ये सुझाव उन्हे भी दे सकते हैं ओर उन्हे

ये एक्सपेरिमेंट करने को कह सकते है। ये जो आध्यात्मिक टिप्स हैं, आध्यात्मिक जो रहस्य है,

आध्यात्मिक जो साधना है इससे भी हमे हमारे जीवन में बहुत सुंदर समस्यायों का समाधान

प्राप्त हमें हो सकता है। आइए हम इन्हे भी यूज करे ओर अपने जीवन को खुशहाल बनाए,

समस्यायों से मुक्त बनाए, समाधान में आज के लिए इतना ही, दीजिये इजाजत। नमस्कार !

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