Samadhan Episode – 000930 Youth Problems

CONTENTS:

1. परिस्थिति व्यक्ति को निखारती है |

2. कैसे हम अपने जीवन को शांत और धेर्यचित्त बनाये रखें |

3. बिना परिश्रम किये हमे कामयाबी नहीं मिल सकती |

4. हर जॉब से अनुभव मिलता है, अनुभव बहुत बड़ी चीज़ है |

कहते हैं जितना बड़ा सपना होगा उतनी ही बड़ी तकलीफ होगी,

और जितनी बड़ी तकलीफ होगी उतनी बड़ी कामयाबी होगी. हमे अपने सपनो को पूरा करने के लिए तकलीफों

से नहीं डरना चाहिए. क्योंकि अग्नि में तपकर ही तो सोने के अन्दर की खाद निकलती है, और सोना निखरता

है.परिस्थिति व्यक्ति को निखारती है. परिस्थिति में या तो व्यक्ति निखर जाता है, या फिर बिखर

जाता है. जितना बड़ा exam होता है, उतना ही बड़ा पद मिलता है. यदि तकलीफे बड़ी बड़ी आ रही हैं,

तो समझे की कामयाबी भी बड़ी मिलने वाली है. ऐसा positive attitude लेकर जब हम चलते हैं, तो

सचमे जीवन बहुत ही सरल हो जाता है. अध्यात्म भी हमे यही सिखाता है, कैसे हम अपने जीवन को

शांत और धेर्यचित्त बनाये रखें.

हमे कामयाबी तो चाहिए होती हैं परन्तु उससे पहले की मेहनत व्यक्ति कम चाहता है, तो क्या ये

शाश्वत नियम है कि तकलीफों से गुजरने के बाद ही हमे कामयाबी प्राप्त होगी?

हमारी मानसिकता ही ऐसी बन गई है की हमे सबकुछ तैयार मिल जाये और हमे मेहनत ना करनी

पड़े. जबकि हमेशा परिश्रम को ही महत्तव दिया गया है. हम सृष्टि कर्मक्षेत्र पर है, बिना परिश्रम किये

हमे कामयाबी नहीं मिल सकती. हमे ये अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए की सब चीज़े हमे बनी बनाई मिल

जाये. मानलो किसी को बना बनाया मिल भी जाता है, परन्तु यदि खुद में योग्यता नहीं है, तो मिली

हुई सम्रद्धि भी नहीं बनी रहती है. इसीलिए कुछ प्राप्त करने के लिए भी हमे पुरुषार्थ करना है, प्राप्त

करने के बाद भी यदि वृद्धि करनी है या सम्भाल कर रखना है, तो उसके लिए भी हमे समझदारी,

योग्यता, पुरुषार्थ चाहिए ही. बिना श्रम किये, मिली हुई चीज़ की आपको ख़ुशी भी नहीं होगी. हमारे

अन्दर भी जो क्षमताये, योग्यताएं हैं उन्हें भी बाहर आने का chance नहीं मिलता है. इसलिए जब भी

आप कोई ज़िमेद्दारी लेते हैं तो, ये सभी बातें आपको प्रभावित तो करेंगी. मानलो कि आपको बना

बनाया मिल गया, उस समय के बाद परिस्थितियां भी बदलेंगी, लोग भी बदलेंगे, कई चुन्नोतियाँ

आएंगी, चुन्नोतियाँ ना आयें तो उसको कैसे आपकी सफलता या क्षमता मानी जाएगी.

संघर्ष के दौर में व्यक्ति अपनी मानसिक स्थिति कैसे अच्छी बनाये रख सकता है?

अगर पहले से व्यक्ति अपने आप से बात कर लेता है, ये समझ रखता है कि इस संसार में कभी भी

कोई भी बात हमारे सामने आ सकती है, हमें अपने भाग्य के बारे में नहीं पता, समय और प्रकृति

हमारे सामने क्या परिस्थिति लायेंगी हमें नहीं पता. हमारा future unknown है. जब हम unknown

क्षेत्र की ओर जाते हैं, तो हमे पहले से ही ये तैयारी रखनी है, कि जो भी बात आये हमें उसे पार

करना ही है, उससे सबक लेना है, और अपनी क्षमताओं को बढाकर इन परिस्थितियों से आगे बढ़ना

है. देखा गया है कि जब ये बाधाएँ आती हैं, तभी हम और अनुभवी, और ताकतवर बनते हैं. इसके

लिए अपने मन में हिम्मत, धीरज रखें, आत्मविश्वास रखें. जब बच्चे exam देने जाते हैं, अगर

उन्होंने वर्षभर मेहनत की है, revision किया है, होमवर्क किया है, attention दिया है, तो दूसरों की

अपेक्षा आपको exam time में बिलकुल भी घबराहट नहीं होगी. क्योंकि जो हमने पढ़ा है वो ही exam

में आयेगा. उसी प्रकार जीवन में जो भी बातें आयेंगी, सीखने की, समझने की बातें, तैयारी की बातें

हैं वो ही तो आनी हैं. हमे अपने मन को बिलकुल शांत बनाना है, खुद ही खुद को हिम्मत बंधानी है,

अपने में confidence रखना है, और जहाँ अच्छाइयां हैं वहां परमात्मा का साथ तो है ही. ये भी

विश्वास रखना है कि जो कुछ भी हो रहा है अच्छा ही हो रहा है. जब हम इस प्रकार से आगे बढ़ते

हैं, तो संघर्ष हो या कोई भी बात हो तो या तो हम सफल हो जायेंगे अगर fail भी हुए तो हमे सीखने

के लिए बहुत कुछ मिलेगा. हमे अपनी तरफ से खुद को मानसिक रूप से तैयार रखना है, संघर्ष के

दौर को भी धैर्यता से निकालें.

ऐसी स्थिति में क्या हमे ईश्वर की मदद प्राप्त होती है, अगर होती है तो हम उनकी मदद कैसे ले

सकते हैं? इसके लिए ईश्वर से हमारा नित्य सम्बन्ध हो, हम उनके महत्व को जानते हो, परमपिता

वो शक्ति है जो कल्याणकारी है, रहमदिल है, दयालु कृपालु है, वो हममें positive power भरते ही

रहते हैं. अगर हमारा उनसे नियमित सम्बन्ध है, रोज़ मन बुद्धि से उनसे मिलने का अभ्यास है, तो

जब ये बातें आती हैं तो उनकी याद से हममें इतनी शक्ति और हिम्मत रहती है. उनका जो ज्ञान है

जैसे कौनसे विघ्न को कैसे ख़तम करना है, नए विघ्न ना आयें उसके लिए हमे कैसे चलना है, हर

प्रकार से जो हमे सत्य ज्ञान मिलता है वो हमे तैयार कर देता है कोई किसी भी बात को पार करने

के लिए.

कई लोग चमत्कार की अपेक्षा रखते हैं, कि अगर मैं मैडिटेशन करता हूँ या ईश्वर मेरे साथ है तो

ऐसा कुछ चमत्कार करके इस सिचुएशन से पार कर दें? ऐसा भी होता है, या तो वो हममें शक्ति भर

देते हैं और परिस्थिति को पार कर लेते हैं, या तो परिस्थिति ही बदल जाती है जिससे हम सहज ही

पार हो जाते हैं. ईश्वर की हर प्रकार से मदद मिलती है. अगर आज किसी बच्चे के सामने परीक्षा है

तो लौकिक पिता भी अन्दर से दुआएं देते हैं, बच्चे में हिम्मत और बल भरते रहते हैं, तो परमात्मा

तो है ही हम आत्माओं के अनादि पिता, तो उनकी हर तरह से मदद मिलती रहती है.

Ques. मैं ६ वर्षों से विध्यालय से जुड़ा हुआ हूँ, पर पिछले कुछ दिनों से मेरा ज्ञान योग में, मुरली

क्लास में interest नहीं आ रहा? और इसी वजह से मेने सेंटर जाना भी बंद कर दिया है. मैं ये भी

जानता हूँ कि बाबा के बिना ज़िन्दगी और भी बदतर हो जाएगी, ऐसी स्थिति में मैं खुद को कैसे

motivate करूँ?

आप ये बात तो समझ ही रहे हैं कि ज्ञान के बिना जीवन और भी बदतर हो जायेगा, इन्सान के

सामने जो भी बातें आती हैं उसे उस समय परखना होता है, हर चीज़ preplanned तरीके से इस

दुनिया में नहीं चलती है, on the spot हमे बातों को परखना पड़ता है और उसे पार करना होता है.

इसके लिए हमे ज्ञान की आवशयकता है ही, सत्य ज्ञान में शक्ति है, और परमात्मा से योग लगाने

 

से हम जैसे एक से दो हो जाते हैं, हमारी powers बढ़ जाती हैं. इन सभी बातों को ध्यान में रख कर

अपने अल्बेलेपन को ख़तम कीजिये. जो सेंटर पर ज्ञान सुनना आपने बंद कर दिया है, इससे ना रूचि

आयेगी ना उमंग उत्साह आयेगा. करते रहने से एकाग्रता और सफलता मिलेगी, अगर हिम्मत हार के

बैठ जायेंगे तो कोई progress नहीं होगी. परमात्मा सत्य है उनका ज्ञान सत्य है तो हमे वो अभ्यास

क्यूँ छोड़ना चाहिए? क्लास हम ज़रूर करें. और रूचि कम होना ये मन का खेल है, इसका कारण है

हमने कई जन्मो से अपने मन को बाहरी बातों में, अनेक प्रकार के रसों में लगाया है, अब जब हम

अपने मन को एक परमात्मा में लगा रहे हैं, एक अध्यात्मिक रस में लगा रहे हैं, तो मन जरुर

तूफान तो करेगा. ये परेशानी तो होती है, परन्तु यदि आपकी बुद्धि शक्तिशाली है और ईश्वरीय ज्ञान

के द्वारा आपने दिव्य बुद्धि प्राप्त की है तो हमे मन के पीछे नहीं भागना चाहिए. कभी ऐसा लगे

की आज मेरा योग में जाने का मन नहीं कर रहा तो और २ घंटे योग करना चाहिए. हर पुरुषार्थी के

जीवन में ऐसा समय आता है कि जिस बात को हम अपने जीवनभर के लिए स्वीकार कर लेते हैं,

हमें उस में रूचि नहीं आती. परन्तु यदि हमारी बुद्धि सत्य है, हमने ज्ञान को अच्छी रीती समझा है,

तो हम खुद ही खुद को समझा सकते हैं कि मुझे इसी में रूचि लेनी है, इसी में ही कल्याण है,

दुनियावी बातों में मन लगाने में मेरा कल्याण नहीं है.

कई बार ऐसा लगता है ये दौर कब तक चलता रहेगा? मन परेशान हो जाता है, सुख-शांति की

स्थिति भंग हो जाती है.

इसके लिए हमारा क्लास में जाना ज़रूरी है क्योंकि संगठन में हमे empowerment मिलती है जब हम

दूसरों के उमंग-उत्साह, हिम्मत, द्रढ़ता को देखते हैं. ये एक सोर्स है हमे इस supply line को cut नहीं

करना है. जब भी कभी ऐसा लगता है कि ईश्वरीय ज्ञान में मेरी रूचि कम हो रही है, तो हमे और ही

जल्दी जाग जाना चाहिए, सेवाकेंद्र में और ज्यादा समय देना चाहिए, अच्छे पुरुषार्थियों का संग करना

चाहिए, उन्ही से लेन-देन करनी चाहिए, जो राजयोगी निमित्त शिक्षिकाएं हैं उनसे सलाह ले सकते हैं.

कुछ सेवा में busy हो जाइये, ईश्वरीय महावाक्य पढ़िए. सिर्फ योग में बेठने से solution नहीं मिलेगा.

यदि हमारा मन हमे बाहरी रस लेने के लिए बहुत प्रबल रूप से खींचता है, और कई बार हम उसके

अधीन भी हो जाते हैं, फिर ये निराशा का भाव आता है कि मैं हार गया, या मेरी पराजय हुई. क्या

ये भी एक कारण है निराशा का, ऐसी स्थिति में क्या किया जाये?

ऐसा होता है पर एक भूल होने से पूरा जीवन ही ख़राब हो जाये ऐसा तो नहीं है. सभी पुरुषार्थी भूल

करते हैं, सबक लेते हैं, आगे बढ़ते हैं. हर पुरुषार्थी को इसमें से पास होना पड़ता है. ऐसा नहीं है कि

ज्ञान मिला ओर आप परिपक्व बन जायेंगे. हम कितने भी अनुभवी हों, हमे अंत तक कुछ ना कुछ

सीखने को मिलता है. अगर जीवन में कोई भूल भी हुई तो उसे सच्चाई से स्वीकार कर लें, उसे

realize करें, परमात्मा को लिखकर दें. फिर दुबारा ना करने की द्रढ़ता करें. तो एक भूल करने से पूरा

जीवन ही ख़राब नहीं हो जाता है. हमे फिरसे हिम्मत से उठकर सुधार कर लेना चाहिए.

 

Q. मैं अपने job में अच्छे से settle नहीं हो पा रहा, मेरा कार्य स्थाई नहीं रह पा रहा, मैं योग में ऐसा

क्या करूँ जिससे मेरा कार्य stable हो जाये?

हर जॉब से अनुभव मिलता है, अनुभव बहुत बड़ी चीज़ है. आप ये न सोचे कि department बदलते

रहते हैं, कब settle हो जाऊ. जो job सामने आया है उसे ही आप दिल से, एकाग्रता से करिये, उसी में

आप अपनी नवीनता, विशेषता दिखाइए. ये ही चीज़ आपको आगे बढ़ाएगी, और जवाबदारी मिलेगी,

और धीरे-धीरे आप settle हो जायेंगे. तो हमे settle होने कि चिंता नहीं करनी चाहिए, जो काम हमारे

हाथ में है उसे अच्छे से अच्छा करने के बारे में सोचना चाहिए. इसके लिए सदा ये याद रखो कि मैं

ज्ञानी तू आत्मा हूँ, भगवान ने मुझमे बहुत विशेषताएं भरी हैं. मेरे अन्दर बहुत शक्तियां हैं, जो भी

काम आयेगा, मैं उसे अच्छी रीती से कर सकूँगा. जो भी काम मिले उसी में focus करें, इससे हम set

भी हो जाते हैं और आगे भी बढ़ जाते हैं. जो छोटी-छोटी जिम्मेवारियों में अपने गुण दिखाते हैं उन्हें

ही बड़ी जिम्मेवारी मिलती हैं. settle हमे अपने मन से होना है, कि जिसके भी साथ कार्य करेंगे

अच्छी रीती करेंगे, हम अपनेआप को हलचल में ना लायें. settle होने के लिए हम ही हलचल में

आएंगे तो कैसे settle होंगे? हम अपनी योग्यताओं से settle होंगे ही, ये विश्वास मन में रखें.

इसके लिए कुछ खास योग का अभ्यास हो सकता है?

जब भी ऑफिस के लिए जाते हैं, या वहां पहुँच के भी, अपने पिता परमात्मा से बात करें, कि मैं

आपका बच्चा हूँ, आज ये कार्य करने के निमित्त बना हूँ, आप सदा मेरे साथ हैं, मुझ आत्मा के

अन्दर भी बहुत सारे गुण और शक्तियां हैं, मैं अवश्य ही सफल होऊंगा. इस प्रकार स्वयं से और

पिता परमात्मा से बात करें और खुद को empower करें. ओम शांति!!

 

 

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