Samadhan Episode – 000119 General Problems

CONTENTS :

1 जीवन की समस्यायें- वरदान कैसे बने ?

2 जीवन की समस्यायें – उनके प्रति हमारा नज़रिया कैसा हीना चाहिए ?

3 एकाग्रता – कैसे बढ़ाये ?

4 कष्टकारी सम्बन्धी- कैसे अपनी शान्ति वापिस पाएं ?

5 कष्टकारी हादसे- कैसे जीवन में आगे बढें ?

रूपेश काईवर्त- नमस्कार, आदाब, सत् श्री अकाल। मित्रो समाधान कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत है।

किसी कवि ने बहुत सुंदर पंक्तियां कही हैं, ‘जीवन ने अब तक बहुत कुछ सिखा दिया, जीवन जीने का

मतलब बता दिया, हम तो पत्थर थे अपनी कीमत पता न थी, मुसीबतों ने तराशा और हीरा बना दिया‘।

वास्तव में मुसीबतें हमें तराश्ती हैं और हीरा बना देती हैं। मूल्यवान बना देती हैं। यदि हीरा अपनी गाथा

सुना पाता तो वो बताता कि उसे कितनी मुसीबतों का सामना करना पडा है इतना मूल्यवान बनने के

लिए। यदि हम भी अपनी मुसीबतों के प्रति सकारात्मक नज़रिया अपनाते है तो वो समस्याएं हमें

तराशती हैं, निखारती जाती हैं और हमारा जीवन मूल्यवान बनता जाता है। समाधान ऐसा ही सुन्दर

नजरिया हमको प्रदान करता है। और हमें ऐसा सुन्दर नज़रिया प्रदान करते हैं, ऐसे सुन्दर नज़रिए से

नवाज़ ते हैं आदरणीय सूरज भाई जी। आईए उनका स्वागत करते हैं, भाई जी बहुत बहुत स्वागत है

आपका।भात्रा जी नज़रिया बहुतमूल्यवान बनता चला जाता है, महत्वपूर्ण होता है जीवन के लिए। यदि एक

सुन्दर और सकारात्मक नज़रिया हो तो समस्याएं भी हमें वरदान महसूस होने लगती हैं।रूपेश जी – एक

करेक्ट नज़रिये की बात होती है भ्राता जी सकारात्मक सोच से तो सचमुच सरल और सहज हो जाता है।

दूसरी बात बहुत अच्छी कही आपने कि यदि चैलेंज के रूप में एक्सेप्ट कर लिया जाए कि हां यह मेरे

लिए चैलेंज है तो वास्तव में उसको सुलझाने में हमारी बहुत सारी शक्तियां जागृत हो जाती हैं और सहज

हो जाता है उसको पार करना।

बी के भ्राता सूर्या जी-बिलकुल!

रूपेश जी- भ्राता जी अब मैं आपको पहले प्रश्न की ओर लिए चलता हूं ! यह फोन कॉल हमारे पास आया

था हर्षिता जी का इन्दौर से। यह कहती हैं कि 1- ’योग में मन की एकाग्रता को कैसे बढ़ाये’, 2- ’हमारी

वियुएलाइज़ेशन पॉवर कैसे बढ़े।’

बी के भ्राता सूर्या जी- दोनो का इंटर कनेक्शन है। एकाग्रता से वियुएलाइज़ेशन और वियुएलाइज़ेशन से

एकाग्रता बढ़ती है। एकाग्रता मैं कहूं संसार का सबसे विशाल सबजेक्ट है। हर मनुष्य का मन भटकता है

और आजकल तो कुछ ज्यादा ही भटक रहा है। एक युवक जो पढ़ता है उसे पढ़ाई के लिय एकाग्रता की

बहुत जरुरत है। एक मकैनिक जो किसी चीज पर काम कर रहा है उसे वहां फुल कंसंट्रेशन की

आवश्यकता है। एक व्यक्ति जो कमप्यूटर पर काम कर रहा है उसे तो वहां फुल कंसैंन्ट्रेशन की

आवश्यकता है। जीवन के हर क्षेत्र में यह जरुरी है। माताएं भोजन बना रही हैं रोज का काम है लेकिन

अगर एकाग्रता नहीं होगी तो नहीं चलेगा कुछ गड़बढ़ होगी तो एकाग्रता की तो सबको जरुरत है। कभी-

कभी मैं हंसी करता हूं, एक माता के हाथ में कुकॅर की सीटी है और वह सब जगह ढूंढ रही है और

परेशान हो रही है फिर देखेगी तो हाथ में है तो हंसेगी।

रुपेश जी- कईयों के साथ ऐसा भी होता हे चश्मा पहने होते हैं ओर चश्मा ढूंढ रहे होते हैं।

बी के भ्राता सूर्या जी- यह एकाग्रता की बहुत कमी हो जाती है इसलिए योग के फील्ड में जहां राजयोग

की बात है, साधनाओं की बात है, चाहे कोई एग्जाम देना है, कोई कम्पीटीशन हो रहा है- जहां एकाग्रता है

वहां सफलता है ।तो बुद्धि को हमेशा व्यर्थ से मुक्त रखना है। इस पर पहले हम बहुत चर्चाएं कर चुके

हालांकि आज भी कुछ चर्चा करेंगे।

पहली बात जो वियुएलाइज़ेशन की पूछी यानि किसी चीज को हम देखते रहें और राजयोग में तो आत्मा

को देखते रहें और परम- आत्मा का देखते रहें। दोनो को ही देखने के लिए बुद्धि बहुत पवित्र होनी

चाहिए क्यिोंकि वियुएलाइज़ेशन बुद्धि का विषय है और कंसंट्रेशन मन और बुद्धि दोनो का विषय है ।

तो जितनी बुद्धि जिसकी पवित्र होगी उतना वियुएलाइज़ेशन यानि देखना बिल्कुल ईज़ी और नैचुरल

होगा। देखिए नारी जाती में यह विशेष बात है कि वे चुप नहीं रहती। चल भी रही होंगी तो सारा रास्ता

बात करते चलेंगी। उनके पास माल बहुत होता है बात करने का। मैटीरियल बहुत होता है। पुरुषों के पास

थोड़ा कम है। लेकिन इसका उनको एक नुकसान होता है कि उनकी एकाग्रता नष्ट होती रहती है। जो

बात सुनेगे करेंगे उसका चिंतन चलता रहेगा और उन्हें यह पता भी नहीं

रुपेश जी – या कई वीडियो भी बने हैं भ्राता जी जिनका इस्तेमाल किया जा सकता है।

बी के भ्राता सूर्या जी- जिनमें शिवबाबा परमात्मा का और आत्मा का बहुत सुन्दर चि़त्र आता है। इमेज

भी आती है। उसे अपनी बुद्धि में समा लें। फिर उसको वियुएलाईज़ करने की कोशिश करें। इस काम को

पांच सैकेंड से शुरु किया जाए। एक छोटी सी विधी मैं रख रहा हूं आपके सामने। 5 सैकेंड आत्मा को

वियुएलाईज़ करें। आत्मा से किरणें फैल रही हैं। फिर 5 सैकेंड परमात्मा को वियुएलाईज़ करेंगे। इससे

वियुएलाईज़ेशन क्लीयर होने लगेगी। इसको कम से कम दस- दस बार करें। फिर इसको 10 सैकेंड तक ले

जाएं। 10 सैकेंड आत्मा को ओर 10 सैकेंड परमात्मा को। यह बहुत अच्छी तरकीब है बिल्कुल सुन्दर।

इसमें कोई कठिनाई नहीं होती। लेकिन जब हमें एकाग्रता बढ़ानी है वियुएलाईज़ेशन एकाग्रता से जुड़ी है

तो मन को भी हमे एकाग्र करना है। बुद्धि की एकाग्रता है कि वह शिव बाबा के स्वरुप पर लम्बा काल

स्थिर रहे लेकिन मन की एकाग्रता है कि उसी विषय के बारे में मन चिन्तन करता रहे उससे हटे नहीं।

आत्मा पर हम एकाग्र हो रहे है तो आत्मा के बारे में मन चिन्तन करता रहे उससे हटे नहीं।

रुपेश जी- जिस चीज़ को हम वियुएलाईज़ कर रहे हैं उसका मन चिन्तन करें।

बी के भ्राता सूर्या जी- उसके लिए जरुरी है कि उस सबजैक्ट के बारे में हमारे पास पर्याप्त विवके हो।

अगर आत्मा का ज्ञान ही नहीं है तो मन उसका चिंतन कैसे करे। मन और बुद्धि दोनो आपस में जुड़

जाती हैं। बुद्धि में जितना विवके है मन का चिंतन रहता ही है। बुद्धि में कम विवेक है तो मन दो चार

विचार कर के कहेगा अब क्या सोचूं। तो एक सुंदर स्टडी हम करें ताकि हमारे पास हमारी बुद्ध में यह

ज्ञान पूरी तरह समा जाए। आत्मा का चिंतन फिर जब परमात्मा को वियुएलाईज़ करें तो मन उसका

चिंतन करे जैसे – वह र्सवशतिवान है, वह दुःखहर्ता है, वह लिबरेटर है, वह मुक्तिदाता है, वह सबकी बिगड़ी

बनाने वाला है। उसकी महिमा और वियुएलाईज़ेशन करें। इन दोनो की प्रैक्टिस यदि हम करेंगे तो हमारी

एकाग्रता बढ़ेगी। इनको मैं पहली प्रैक्टिस कहूंगा कि यह अपने नेगेटिव संकल्पों को पॉसिटिव में बदलने

का अभ्यास शुरु करें। लोगों के पास नैगेटिव थिंकिंग बहुत है। एक वेस्ट थिंकिंग है और एक अननेसैसरी

थिंकिंग है, माना अनावश्यक। ऐसे ही हम दूसरों के बारे में सोच रहे हैं। राजनीतिज्ञयों के बारे में सोच रहे

हैं। अभी आसाराम बापू जी का केस हो गया लोग इसके बारे में सोच रहे हैं बिना मतलब के। हम सबका

उससे कोई लेना दैना नहीं है। हमें व्यर्थ बिल्कुल नहीं सोचना है। मन में विकारों का संकल्प चलना, बुरे

संकल्प चलना, किसी ने कुछ कह दिया उसके लिए बहुत सारे संकल्प चलना यह व्यर्थ है।

लेकिन अब नैगेटिव को पॉसिटिव में बदलने पर घ्यान दें कि मैने कहां नैगेटिव सोचा

और उसकी जगह मुझे क्या पॉसिटिव सोचना चाहिए। मान लो घुटने में दर्द ही हो गया। हर कदम पर

परेशनी महसूस करता है। सारा दिन तो मनुष्य को चलना ही है। बैठे-बैठ भी दर्द होगा तो हाय हाय

करेगा और यदि यह कहे कि अब पता नहीं कब ठीक होगा और ठीक होगा भी या नहीं । कुछ लोग

मैडिकल र्साइंस को ही कोसने लगेंगे। इतने डॉक्टर्स हैं किसी को इलाज़ नहीं करना आता। कुछ लोग अपने

भाग्य को कोसते रहेंगे, ‘पता नहीं मेंने कितने पाप किए हैं, मेरा भग्य ही खोटा है। इससे तो अच्छा है

भगवान् मुझे उठा ही ले।

रुपेश जी- कहेंगे भगवान् मुझे उठा ही ले।

रुपेश जी- मैं तो झूठ कह रही थी आपसे!

बी के सूर्या जी – मैंने थोड़े ही सच कहा था! अभी तो मेरे बच्चे छोटे हैं।

रुपेश जी – मैं तो मज़ाक कर रही थी।

बी के भ्राता सूर्या जी- और यदि वह पॉज़ीटिव सोचेंगी बार बार कि मैं ठीक हो जाउंगी तो वह ठीक होने

भी लगेगी तो इस तरह हम अपने मन को पॉज़ीटिव करें।

रुपेश जी – यह जो व्यर्थ है भ्राता जी यह मन को बहुत कमज़ोर कर देता है और यह जो एकाग्रता वाली

बात है वह एकाग्र भी नहीं हो पाता।

बी के भ्राता सूर्या जी – और व्यर्थ के इतने प्रकार हैं हजारों तरह से मनुष्य व्यर्थ सोचता रहता है। सबसे

बड़ी चीज़ यह कि बुद्धिमान मनुष्य को यह पता ही नहीं चलता कि वह व्यर्थसोच रहा है, सबसे बड़ी

विडम्बना यह है। जिस मनुष्य को यह अहसास हो कि वह गलत सोच रहा है तो वह उसे ठीक भी कर

सकता है, पहले इस चीज़ की आवश्यकता है।

रुपेश जी- तो भ्राता जी!यह वास्तव में हर्षिता जी का एकाग्रता पर जो प्रश्न था मन को विछेद कर व्यर्थ

से मुक्त करें और पॉसिटिव की ओर लें चलें।

बी के भ्राता सूर्या जी – और भी कुछ चीज़े हैं। एकाग्रता का संबंध जैसे मन से है ऐसे ही ब्रेन से भी है।

तीन चीज़े हैं हमारे पास मन,बुद्धि और ब्रेन। ब्रेन हमारा सुंदर होना चाहिए।यदि हम सोए नहीं रात को

तो हमारा ब्रेन अच्छा नहीं रहेगा। भारीपन रहेगा, आंखें भारी रहेगी, सिर दर्द भी होगा। एकाग्रता का प्रश्न

ही नहीं उठेगा। प्रौपर स्लीप ज़रुरी है, न बहुत ज्यादा न बहुत कम।

कई लोग बहुत कम सोने लगते हैं मैडिटेशन के चक्कर में। कई लोगों को धुन लग जाती है। ‘हमें तो

बहुत जल्दी उठना है’, ’सदा ही तो सोते आए हैं’,’अब नहीं सोएंगे तो क्या होगा’, लेकिन इससे हमारा ब्रेन

वीक हो जाता है।

रुपेश जी- आम तौर पर नींद हमारी कितनी होनी चाहिए ?

बी के भ्राता सूर्या जी – छह घंटे तो होनी ही चाहिए। जो स्टूडेंट हैं उन्हें सात घंटे सोना चाहिए क्योंकि

उन्हें ब्रेन का काम ज्यादा करना पढ़ता है। ऐसे ही भोजन महत्वपूर्ण है। देखिए आजकल यह बहुत बुरी

चीज़ हो गई है भोजन में शक्ति नहीं रही और न जाने कैसे- कैसे अन्न पैदा हो रहा है। दूघ भी ऐसा

अच्छा नहीं रहा कि जिससे पौष्टिकता मिले। फलों से बहुत कम एैनर्जी मिल रही है और स्वादिष्ट भी

नहीं रह गए हैं। कैसे कैसे पकाए जा रहे हैं। कैसे कैसे उगाए जा रहे हैं। टेक प्रौपर डायट जो हमारे शरीर

को एनर्जी दे। नींद और डायट दोनो का बहुत घ्यान रखेंगे। हमारा ब्रेन भी कैपेबल होगा और मदद करेगा

एकाग्रता में।

रुपेश जी- भ्राता जी यह जो दूसरा फोन कॅाल आया बुलन्द शहर से, सीमा जी कहती हैं ‘मेरे पति बहुत

शराब पीते थ और शराब अधिक पीने के कारण ही उनकी मृत्यु हो गई। मेरे सास ससुर ने उनकी मृत्यु

का जिम्मेदार मुझे ठहरा कर मुझे घर से निकाल दिया। अब मैं अपने मायके में हूं।मेरे दो बेटे हैं। एक

दसवीं में पढ़ता है और दूसरा छठवीं में। मेरे सास ससुर उन्हें भी मेरे से नहीं मिलने देते। उन्हें भी मेरे

खिलाफ भड़काते हैं कि तुम्हारी मां ने ही तुम्हारे बाप को मारा है। भगवन जानते हैं कि यह सब झूठ है।

मैं अपने बच्चों को पाना चाहती हूं। मुझे इस सिचुएशन में क्या करना चाहिए?

बी के भ्राता सूर्या जी- कई परिस्थितियां हो गई इनके सामने तो। पति भी खोया, बच्चे भी खो दिए और

बदनामी भी। निश्चित रुप से बहुत बढ़ी टैंशन की बात है इनके सामने तो। सबसे पहले तो मैं शराब पीने

वालों से कहना चाहूंगा कि यह विष है। जो लोग छोटी आयु में शराब पीने लगते हैं वे चालीस साल से

ज्यादा नहीं जीते अधिकतर की मृत्यु पैंतीस साल में ही हो जाती है। किसी की किडनी फेल, किसी का

लीवर फेल। दोष चाहे किसी को भी दें लेकिन दोष तो शराब का ही है। इसके सास ससुर पहले से ही इस

बहु से नफरत करते होंगे।एक फुल फीलिंग उनके अन्दर होगी इसके लिए, इस कारण इस पर

दोषारापनकर दिया। भला कौन पत्नी अपने पति को मारेगी। प्रत्यक्ष है वह बहुत शराब पीता था तो

उसकी किडनी लीवर फेल होने तो निश्चित थे। जो शराबी हैं वे तो अपनी मृत्यु का आह्वान कर रहे हैं।

कल एक ऐसा ही व्यक्ति मुझे मिला। मैनें उससे कहा तुम बहुत शराब पीते हो तुम्हारी तो जल्दी मृत्यु

हो जाएगी, तो उसने कहा मुझे तो जीना ही नहीं है ज्यादा इसीलिए तो पी रहा हूं। देखो कैसी-कैसी

मैंटैलिटी हो गई है लोगों की। पाप भी सूक्ष्म गति से आगे बढ़ रहा है चरम सीमा पर पहुंच रहा है और

लोग अपने गलत गलत कार्यों को भी सही ठहराने में लगे है।

रुपेश जी- भ्राता जी लोग कहते हैं कि मैं गम के कारण पीता हूं तनाव के कारण।

बी के भ्राता सूर्या जी- गम के कारण, तनाव के कारण, रात को नींद नहीं आती इसके कारण या घर में

अशान्ति रहती है इस कारण।कई लोगों ने यह अनुभव किया है कि जो व्यक्ति शराब पी कर घर आता

है, घर पर लड़ाई झगड़ा करता है अशान्ति और बढ़ती है और वह तो सो जाता है मगर औरों की नींद

खत्म हो जाती है।

रुपेश जी- और यह सोचना कि गम खत्म हो जाएंगे, परेशानियां खत्म हो जाएंगी तो यह तो एक भ्रम है

वास्तव में।

बी के भ्राता सूर्या जी- बिल्कुल! शराब से गम खत्म नहीं हुआ करता, गलत व्यसनो से कोई टैंनशन खत्म

नहीं हुआ करता। यह तो मनुष्य अपने को मार रहा है, अपने को सजा दे रहा है वो जो शराबी हैं। वे

अपना घन भी नष्ट कर रहे हैं, बच्चों पर भी बुरा असर हो रहा है। अब देखिए यदि इनके सामने ही

इनके बच्चे भी शराब पीने लगें तो इनको कैसा लगेगा। वास्तव में इस विष से, इस आसुरी आदत से

सबको बचना चाहिए।

बच्चे इनकी जिम्मेदारी है, इनके सास ससुर को भी थोड़ा समझदार होना चाहिए। अपनी

बहू से ऐसा दुव्र्यवहार करना, उसे घर से निकाल देना, बच्चों से भी दूर कर देना यह तो वास्तव में बहुत

बड़ा पाप है और इस पाप का फल जब इनके सामने आएगा तो मैं कहूंगा इनको भी नानी याद आ

जाएगी। बेटा भी खो दिया और अब सुख शान्ति भी खो देंगे। क्योंकि बच्चे आखिर उनके पास तो सदा

रहेंगे नहीं। बच्चे मां के पास या तो उनके बाप के पास रहते हैं , अपने दादा दादी के पास कब तक रहेंगे,

उनकी और आयु भी कितनी होगी। तो मैं इस बहन को कहना चाहूंगा कि अब यह राजयोग सीखें,

ईश्वरीय ज्ञान लें। कर्मों की गुह्य गति जब इनकी समझ में आयेगी तो यह जीवन में हुई कुछ घटनाओं

को अैक्सैप्ट कर लेंगी। पति चला गया। जरुर इसके कुछ कर्म विकर्म रहे हैं जिसके कारण इसको सबसे

बड़ा लॉस हुआ जीवन का। पति का जाना माने सबसे बड़ा लॉस होता है नारी के लिए। अब यह ईश्वरीय

ज्ञान ले कर अपने मन को प्रसन्न करें। अपने व्यवहार को इतना सुन्दर करें कि सास ससुर भी इनसे

प्रसन्न हो जाएं और बच्चे भी इनके सास ससुर को छोड़ कर इनके पास रहने लगें क्योंकि मां का प्यार

तो इनसे ही मिलेगा दादा दादी से तो नहीं मिलेगा। हम यह नहीं चाहते कि बच्चे उनको भी पूरा छोड़ दें

क्योंकि उनके सहारे भी अब वही हैं। तो इस बहन को अब राजयोगी बन जाना चाहिए। इनके जीवन में

खुशी लौट आएगी। सवेरे उठ कर यह अपने सास ससुर को भी अच्छे वाईब्रेशन दें। इससे यह होगा कि

इनके सास ससुर की मैंटैलिटी बदल जाएगी। उनके विचार, वे ऑफ थिंकिंग बदल जाएगा और इनमें

समझौता हो जाएगा। यह अपने घर वापिस जाएं, अपने सास ससुर के साथ रहें, अपने बच्चों के साथ रहें

और इनका जीवन सुखी हो जाए। इसके लिए इन्हें राजयोग करना है और रोज़ सवेरे पांच बजे उठ कर

राजयोग से अच्छे वाईब्रेशन अपने सास ससुर को देने हैं जिससे उनका चित्त भी शान्त हो जाए। वे अपने

बच्चे की मौत से बहुत परेशान हो रहे हैं, अशान्त हैं इसलिए तो बच्चों को अपने सामने रख कर अपने

प्यार की तृप्ति करना चाहते हैं, इसलिए यह सब इनको करना है।

रुपेश जी- तो राजयोग के अभ्यास से यह जो समस्या है वह दूर हो जाएगी और इनकी जो बड़ी समस्या

है सीमा जी की बच्चे भी इन्हें प्राप्त हो जाएं और परिवार में पुनः खुशहाली हो।

भ्राता जी हमारे पास अगला जो पत्र है वह मिनाक्षी जी का है। यह दिल्ली से लिखती हैं कि

‘मेरी जेठानी ने मेरे साथ कुछ ऐसा बुरा किया था कि अब जब थी वो मेरे सामने आती हैं मुझे वही बात

याद आ जाती है और मन में तेज़ी से नैगेटिव विचार चलने शुरु हो जाते हैं। मैं कैसे इसे कंट्रोल करू

और ठीक इसी प्रकार का एक और प्रश्न था। यह भी जेठानी जी से ही जुड़ा हुआ है यह भी पढ़ लेता हूं।

यह मैंगलौर से आया है। यह कहती हैं कि परिवारिक झगड़े के कारण मेरी जेठानी ने कुछ तंत्र मंत्र करवा

कर मेरे पति और बेटे को मरवा दिया और वो बटवारे में जमीन का एक टुकड़ा भी हमें नहीं देना चाहती।

उसने मुझ पर भी कुछ तंत्र मंत्र का प्रयोग करवाया है जिसके कारण मैं हमेशा बिमार रहती हूं । मुझे

नींद भी नहीं आती। कृपया कोई हल बताएं। दोनो ही केसेस जेठानी से जुड़े हुए हैं और बहु ज्यादा

परेशानी के हैं।

बी के भ्राता सूर्या जी- जेठ तो सुरक्षित रह जाते हैं जेठानियां पाप करने लगती है। वास्तव में मुझे देख

देखकर बहुत दुःख होता है कि आज नारी नारी को बहुत सता रही है जबकि नारी में मातृत्व होता है।

नारी प्रेम की मूर्त होती है। दया और सहानुभूति होती है लेकिन यह देख कर सचमुच अच्छा नहीं लगता

कि अनेक जगह अनेक केस आते हैं कि नारी नारी को सता रही है जबकि नारी को अपने साथियों को

बहुत सहयोग देना चाहिए। मैं कहना चाहूंगा अपनी मातृ शक्ति को, सारे संसार की मातृ शक्ति को कि

वा तंत्र मंत्र से बचें। आपने उसके पति और लड़के को तो मरवा दिया लेकिन वही अनुभव आप को भी

होगा क्योंकि हर कर्म का फल जरुर मिलता है। हम दूसरे को कष्ट दे रहे है तो हमें मान लेना चाहिए,

जान लेना चाहिए कि हम कष्ट जरुर पाएंगे। पहले के ही पाप बहुत ज्यादा हैं। यह सब कष्ट दे रही हैं

यह जेठानियां, लोभ वश, स्वार्थ वश कि सारी जो सम्पत्ति है वह मेरे को मिल जाए, दूसरे भले भूखे रहें,

सड़क पर रहें, देने वाले व्यक्ति के भंडार भरपूर रहते हैं। जो दूसरों की छीना झपटी कर रहे हैं वे तो सदा

ही भिखारी रहेंगे। वे सदा ही मांगते रहेंगे। सदा ही खाली रहेंगे।इसलिए इस कर्म की गति को जानते हुए

हमारी मातृ शक्ति को बहुत विशाल दिल होना चाहिए। ऐसी माताएं मुझे मिलती हैं। मुझे देख कर उन

पर गर्व होता है, यह है भारत की मातृ शक्ति जो भारत देशा का कल्याण करेगी। रही बात इनकी जिनके

साथ यह हादसे हुए हैं इनको अपने चित्त को शान्त करना चाहिए और एक बात याद रखनी चाहिए कोई

तुम्हारे भाग्य को छीन नहीं सकता। जिन्हें संसार में कोई साथ नहीं देता उन्हें भगवान् साथ देता है। अब

ये भगवान से जुड़े। भाग्य विघाता को अपना बना लें। भाग्य विघाता से योगयुक्त हो जाएं तो संपूर्ण

भाग्य इनके पास आ जाएगा। और जिन्होंने इनके साथ दुव्र्यवहार किया है वे हाथ जोड़ते हुए याचक बन

कर मांगते हुए इनके पास आ जाएंगे। ऐसे बहुत से केसिज़ हुए हैं। मेरे पास अनुभव हैं लोगों के। जिनका

सब कुछ छीन लिया लेकिन उन्होंने धेर्य और शान्ति का परचिय देते हुए शान्त रह कर कहा चलो तुम

ले जाओ। सुखी रहो। और अपना कारोबार फिर से आरम्भ किया और तीन चार साल में ही बहुत आगे

निकल गए और वे बहुत गरीब हो गए क्योंकि पाप उनके साथ था। इसलिए जिनके साथ पाप है उनकी

हार निश्चित है और जिनके साथ सत्य है उनकी विजय होगी। भगवान् भी ऐसा ही करते हैं। गीता में

लिखा है।

जिनके साथ होगा उनके साथ तो विश्व का खज़ाना होगा उसको कोई कमि नहीं होगी। इन्होंने पति और

बेटा खोया है । हम इनसे करें। अपने जीवन को ईश्वरीय ज्ञान द्वारा खुशियों से भरें और हो सकेतो इन

सब को क्षमा कर दें। उन्हें दुआएं दें ।

बी के भ्राता सूर्या जी- नैचुरल है किसी मनुष्य ने किसी को बहुत सताया हो और वो सामने आता हो तो

उसे वे सब बातें याद आएंगी ही और इनको परेशान करेंगी। इसके लिए एक ही विधी है कि उन्हें क्षमा

कर दे विशाल दिल हो कर। हालांकि यह कार्य थोड़ा कठिन होता है लेकिन फिर भी इसके अलावा और

कोई चारा नहीं है। अपने चित्त को शान्त करने के लिए, अपने मन में प्रसन्नता संतोष भरने के लिए उसे

क्षमा कर दें। कहो ,’जाओ तुम्हारे कर्म तुम्हारे साथ। तुम भी सुखी रहो’। और अगर यह भी न कह पाएं

तो- क्योंकि कई केसिज़ बडे होते है तब मनुष्य क्षमा नहीं कर पाता। वह बदला लेना चाहता है। मैं ऐसे

केस देखता हूं लोग कहते हैं ’मैं उनको तड़पता हुआ देखना चाहता हूं , तब मेरी आत्मा को शान्ति

मिलेगी’। तो बेचारों की बात तो ठीक ही होती है। क्योंकि उन्होंने इनको बहुत कष्ट दिया है ।तो यदि यह

बहन उन्हें क्षमा न कर पाएं तो एक घंटा रोज़ राजयोग मैडिटेशन करें इनका मन शान्त होगा। यह उसे

आत्मा देखा करें कि यह बड़ी नहीं, यह मेरी जेठानी नहीं, यह आत्मा है। अपना पार्ट प्ले कर रही है।

इसका अपना पार्ट है, मेरा अपना पार्ट है। और जैसे ही यह संकल्प करेंगी कि मुझे इसे सद्भावनाएं देनी

हैं, मुझे इसे दुआएं देनी हैं, तो इनके बहुत सारे संकल्प नहीं चलेंगे और इनको बुरी घटनाएं भूलती जाएंगी।

यह अपने को आगे बढ़ता हुआ देखेंगी और इन्हें यह महसूस होगा कि उसने हमारे द्वार बन्द किए थे,

उसने हमारे जीवन में विघ्न डाले थे, उसने हमको पत्थर मारे थे लेकि उनके कष्टों से हम बहुत आगे बढ.

गए।

रुपेश जी- जैसे हम ने शुरुआत ही की थी कि मुसीबतों ने तराश कर हमको हीरा बना दिया। बात

अल्टीमेटली वहीं आ गई।मुसीबतों ने वास्तव में हमें निखार दिया, तराश दिया और हमें ईश्वर के नज़दीक

तक पहुंचा दिया।

हम यह उम्मीद करेंगे भ्राता जी इनके चित्त शान्त हों, इनके जीवन में पुःन खुशहाली आए।

आपका बहुत – बहुत शुकियाँ ।

मित्रो ! कहते हैं – दु:ख में सुमरिन सब करें …………. तो जब दुःख आता है जीवन में तभी

परम पिता परमात्मा की याद आती है तो एक प्रकार से दुःख कहीं न कहीं मददगार बन जाते हैं हमें

परमात्मा के नज़दीक पहुंचाने के और यह भी याद रखें कि जिसका कोई नहीं होता उसका तो खुदा है

यारो। चाहे सभी हमारा साथ छोड़ दें, सभी हमारे जीवन में कष्ट पैदा करने पर तुल जाएं तो भी भगवान

का साथ हमारे साथ बना ही रहता है। ईश्वर के साथ को आप अनुभव करें तो जल्दी से ज्ल्दी आप इन

विपत्तियों से मुक्त हो जाएंगे और जीवन पुःन खुशहाल हो जाएगा।

तो उन लोगों को क्षमा कर दें जिन लोगों ने आपको बहुत कठिनाई और परेशानियों में

डाला है। आपका चित्त भी शान्त होगा और ईश्वर की मदद और शक्ति भी आपको प्राप्त होगी।

हमारी ढेर सारी दुआएं और शुभकामनाएं कि आप जल्दी से जल्दी अपनी तकलीफों से

मुक्त हों और खुशहाल जीवन जीएं।

नमस्कार।

Like us on Facebook
error: Content is protected !!
Home