Samadhan Episode – 00091 Moral Values Problems

CONTENTS :

1. सकारात्मक सोच और सकारात्मकता

2.  sunburn और उससे उत्पन्न होने वाला भय, मानसिक बीमारी

3. पवित्र धन और अपवित्र धन

 

रूपेश जी …………….नमस्कार,आदाब,सत श्री अकाल ,मित्रो समाधान कार्यक्रम मे आप

सभी का बहुत – बहुत स्वागत है! किसी ने हंसी मे ही सही लेकिन बहुत पते की बात कही

है कि यदि जीवन मे विपत्ति आ जाए तो कभी आपत्ति मत किजये क्योंकि दूध के फट जाने

पर वही लोग निराश होते है जिन्हे पनीर या रसगुल्ला बनाना नहीं आता! कितनी सुंदर बात

है न जब विपत्ति आती भी है तो यदि उसकी एक उजलीय पक्ष को ,एक साकारात्मक पक्ष

को देखा जाए तो सचमुच वो विपत्ति ,विपत्ति नहीं लगती! समाधान आप तक यही संदेश

बार – बार पहुंचा रहा है और इस संदेश को हमेशा हम तक पहुंचाते है आदरणीय राजयोगी

सूर्या भाईजी! आइये उनका स्वागत करते है! भ्राताजी आज की इस कड़ी मे आपका

बहुत – बहुत स्वागत है !

 

बी॰ के॰ भ्राता सूर्या जी…………….thanks

 

रूपेश जी…………….सुंदर विचार होते है भ्राताजी! एक नाकारात्मक पक्ष और एक

साकारात्मक पक्ष! एक ऐसी मानसिकता यदि बना ली जाए कि बात कुछ भी हो

लेकिन एक गुलाब का फूल,गुलाब का पौधा गोबर से भी  खुशबू ले लेता है ,गोबर

को तो हम वैसे नाक पर नहीं रखते लेकिन गुलाब को जरूर रखते है पर निश्चित

रूप से जीवन आनन्द से परिपूर्ण हो जाता है!

 

बी॰के॰ भ्राता सूर्या जी………………बिल्कुल positive thinking हमारे उज्जवल भविष्य

का निर्माण करती है! विशेष रूप से सभी बच्चे , students , युवक अपने अंदर यह

अच्छी तरह से समा ले कि अगर हम बहुत negative होंगे , चाहे हमारे attitudes

negative हो जाए , चाहे हमारा सोचना negative हो जाए! कईयो के ऐसे होती है हर

चीजों को negative देखने कि आदत तो समझ ले कि इससे हमारा भविष्य बिगड़ेगा!

हमे positive होना है, positivity हमे शक्ति देती है , strength देती है और positive

energy उससे create होती है और हमारा भविष्य उससे बहुत सुंदर हो जाता है

इसलिए कुछ भी बात जीवन मे आती है , विपत्ति तो आती है क्योंकि सचमुच मनुष्य ने

उनका आह्वान भी किया है। कुछ गलती कर दी है जिसके कारण विपत्ति आ रही है।

जैसे प्रकृति के लिए सोचे, प्रकृति कहीं न कहीं विपत्ति पैदा करती रहती है और चिंतक

लोग जो प्रकृति के जानकार है वो सब कहते रहते है कि देखो प्रकृति कुपित हो रही है।

मनुष्य ने प्रकृति के सौन्दर्य को नष्ट किया है, उसकी आन्तरिक शक्ति को नष्ट किया है,

उसको दूषित कर दिया है तो प्रकृति अपना बदला ले रही है।तो विपत्तियों का आह्वान

कहीं न कहीं अवश्य किया है लेकिन अगर हम अपनी मनोस्थिति को अच्छा रखेंगे तो

विपत्तियों पर हम सचमुच विजय प्राप्त कर लेंगे क्योंकि हमने उनको बुलाया है तो वो

तो आएंगे जरूर लेकिन अब हम उनकी खातिरी करे या बाहर से ही उनको विदाई दे

दे ये हमारे ऊपर है।

 

रूपेश जी……………..बिल्कुल-बिल्कुल, भ्राताजी एक SMS जो हमारे पास आया था

आज मै उससे शुरुआत कर रहा हूँ ।इन्होने गणेश चतुर्थी कि शुभकामनाएं दी है-कहा है ,

बहुत सुंदर poetic language मे लिखा है कि “ आने वाली गणेश चतुर्थी की हार्दिक

बधाई , समाधान Programme से ढेर सारी खुशियाँ जीवन मे आई।“

 

बी॰ के॰ भ्राता सूर्या जी……….बहुत अच्छा…हमारी शुभकामनाएं है कि जीवन मे खुशियाँ

आई है वो permanent रहे , वो कभी नष्ट न हो और आपकी खुशी बढ़ती ही चले।

 

रूपेश जी………………जी…भ्राताजी जो हमारे पास एक sms आया है कि इनके पास एक

गंभीर समस्या  है कि ये कहते है कि “a person has taken my Rs 85000 by cheating,

I am not financially strong. Suraj Bhaiji please help me, I can’t take legal

action because I have no money”  अब ऐसी situation भ्राताजी ,phone call भी ऐसा

ही आया था हमारे पास कि हमारे पैसे गुम हो गए है वो हमे प्राप्त नहीं हो रहे है तो क्या इसमे

भी राजयोग हमारी कुछ मदद कर सकता है?

 

बी॰के॰ भ्राता सूर्या जी………………देखिये राजयोग भी मदद करेगा और power of sub-conscious

mind भी इसमे मदद करेगी। ये सच है कि आजकल मनुष्यों कि mentality ऐसी हो गयी है

कि दूसरों का पैसा लिया और फिर देने कि नियत नहीं रहती।मुझे तो डर है कि कहीं धीरे –धीरे

ऐसा न हो जाए कि कोई किसी को पैसा दे ही नहीं क्योंकि ये वातावरण बन जाएगा कि पैसा लेकर

कोई देने वाले नहीं है और तब बेचारे जिनको जरूरत है,देखिये पैसो कि जरूरत तो कहीं न

कहीं सबको पड़ती है।जो जरूरतमन्द है उन्हे कितनी कठिनाई हो जाएगी तो इसलिए मनुष्य

को ये समझ लेना चाहिए कि दूसरे का पैसा कभी भी सुखदायी नहीं होता। जो दूसरों के पैसो से

अपने बच्चों कि पालना करते है उनके बच्चे अपने माँ बाप के लिए हमेशा ही सिरदर्द ही बनकर

रहेंगे। मै बहुतों को कहता हूँ जो माँ बाप मुझे फोन करते है कि हमारे बच्चे ऐसे कर रहे है, ऐसे

कर रहे है…..मतलब संबंध कटु हो गए है, बच्चे माँ बाप कि insult करते है, बुरा बोलते है, कई

बच्चे तो उन्हे घर से निकाल देने कि चैलेंज देते है तो मैं उनसे पूछता हूँ कि अच्छे पैसे से बच्चों

कि पालना शायद नहीं की है तो मुस्कुराने लगते है की भई कलियुग मे तो सारा पैसा धंधे पाप

के ही हो गए है तो सचमुच हम इसके साथ है और कुछ विधि spiritual methods मैं इनके

समक्ष रख रहा हूँ उसका ये अभ्यास करे।एक तो उसके मन मे न देने की फीलिंग हो गयी है

तो ये उन्हे good vibrations देंगे रोज़ सवेरे।उन्हे क्षमा भी कर दे।उनके प्रति इनके मन मे जो

कटुता आ गयी है उसको खत्म करके उन्हे क्षमा कर दे और उन्हे इस तरह संकल्प दे तुम

बहुत अच्छी आत्मा हो, तुम तो पुण्य आत्मा हो ,देखो हमने तुम्हें जरूरत मे पैसे दिये थे , अब

तुम हमारे  पैसे लौटा दो ,यही तो मानवता है, इसीसे तो हमारा स्नेह-संबंध सदा के लिए बना

रहेगा और फिर एक vision देखे कि वो 85000 रुपये लाया है और दे रहा है 15 दिनो मे ही,

time भी देंगे कि 15 दिन मे वो 85000 लाया है और दे रहा है , तो ये vision बनाएँगे और

रोज़ कम से कम 7 दिन के लिए एक घंटा प्रतिदिन थोड़ा शक्तिशाली राजयोग का meditation

कर दे ताकि इनकी जो शुभ भावनाएं है और ये जो vision बना रही है इसमे बहुत force

जाए।बस इतना ही ये करेंगी तो इनका पैसा वापिस आ जाएगा। आएगा अवश्य क्योंकि ये

गरीब है इनका पैसा तो ईमानदारी का ही होगा और देखो कितनी अच्छी बात है कि साधारण

व्यक्ति ने अपने किसी व्यक्ति को मदद की समय पर, तो मनुष्य को भी सोचना चाहिए कि ऐसे

मे हमारा उनका पैसा दबाना यह किसी भी तरह कल्याणकारी नहीं होगा। यह बहुत बड़ा पाप

हो जाता है।चलो, जिसके पास बहुत पैसे है, धनवान है, उसके आप नहीं दे रहे है तो चल भी

जाए लेकिन एक गरीब व्यक्ति का जिसके पास पूंजी बहुत थोड़ी है उसको इस तरह से सताना

ये महापाप बन जाता है।

 

रूपेश जी………………भ्राताजी , ऐसे तो बहुत सारे लोगो के case होंगे जैसे आपने कहा कि

चलिये पैसा देना अब कहाँ तक वो लोग बंद करेंगे। ज़्यादातर व्यापार तो इसी पर आश्रित है

कि कोई दे रहा है कोई ले रहा है और इस प्रकार से जो धन है वो circulate होता रहता है।

जहां-जहां लोगो के इस प्रकार के पैसे फंसे हुए है तो जैसे आपने इनके लिए अभ्यास बताया

तो क्या एक ही अभ्यास सभी करे या कुछ और भी आप practices बताते है?

 

बी॰ के॰ भ्राता सूर्या जी………….वास्तव मे यही एक तो समाज मे हर व्यक्ति थोड़ा honest

बने। अभी देखो payment तो बाद मे ही करते है business मे लोग लेकिन अगर payment

ही रोक दे तो वो व्यक्ति कहाँ से…..उसको भी तो कहीं payment करना है न…तो सारा

कारोबार ही बंद हो जाएगा और एक दूसरे पर विश्वास उसका नहीं रहेगा।

 

रूपेश जी………………..और ये business विश्वास पर ही तो चलता है।

 

बी॰के॰ भ्राता सूर्या जी…………..सारा संसार का खेल विश्वास पर ही तो चल रहा है।तो मानवता

सचमुच नीचे तो उतर चुकी है परंतु कम से कम विश्वास को तो जिंदा रखना ही चाहिए और

यही अभ्यास करने है सबको। एक तो देने की mentality हो। देखिये बहुत अच्छी बात है कि

हम हमेशा देने का मन बनाकर रखे।जिसकी देने कि मन्सा है उसका भंडार भरपूर रहता है

और जो सोचते है क्यों देना है आज तो वो  महसूस कर सकते है कि हमारे पास बहुत पैसा हो

गया , हमने लोगो का दिया नहीं लेकिन कल उन्हे अति गरीबी का सामना अवश्य करना पड़ेगा।

क्योंकि यही व्यवहार कोई न कोई उनसे भी करेगा।जैसे मैंने कहा उनके बच्चे बिगड़ेंगे ,

जो ऐसा पैसा है वो उसको उड़ा देंगे।बच्चे आजकल कैसे है सब जानते है-शराब मे , गुंडागर्दी

मे और भिन्न – भिन्न गलत criminals कामो मे सारा धन सम्पदा उड़ाते, तब इनको एक तो

इधर पाप कर लिया दूसरा उधर से जो कष्ट होगा तो कई गुणा मार इन पर पड़ेगी इसलिए

spiritual अभ्यास अवश्य करने चाहिए और बहुत ईमानदारी ,बहुत सत्यता और देने की

भावना जो बहुत important चीज़ है देने कि भावना।जिसका लिया है –हाथ जोड़ लो भई

15 दिन और दे दो ,हम आपका अच्छी तरह से pay करेंगे।हमारी मन्सा है ही नहीं की हम

आपका एक पैसा भी रखे तो इससे उस व्यक्ति को भी सुख मिलेगा, विश्वास बना रहेगा, ये

तो करना ही चाहिए लेकिन जो ये spiritual practice है ,जिसका पैसा नहीं आ रहा है वो

सब ये करे, राजयोग की भी थोड़ी practice करे। राजयोग की मदद से ये काम बहुत

जल्दी सफल होते है।ऐसे कई जगह के अनुभव है की लोगो के पैसे दब गए , एक तो उनको

क्षमा किया, उनके लिए प्रेमभाव पैदा किया की हो सकता है वो भी कहीं problem मे हो,

नहीं दे पा रहे हो।दूसरा भगवान से जैसे blessing ली कि इनके पास भी पर्याप्त धन आ

जाए, की ये भी धनवान हो जाए और फिर ऐसे ही good vibrations दिये और vision

बनाए की वो व्यक्ति पैसे दे रहा है।इतने दिन मे बहुत जल्दी good result मिला और ये

समस्या समाप्त हो गयी तो जिन-जिन के भी ये case है क्योंकि मेरे पास भी बहुत फोन

calls ऐसे आते है, यही समस्या, और court भी इससे भरे पड़े है और कोर्ट के case

बहुत ज्यादा संपत्ति के सारे झगड़े है।

 

रूपेश जी…………….और हाँ वर्षो तक चलते रहते है और जैसे की इनका case था कि

बिचारी गरीब है,कहाँ से इन लोगो को pay करेगी?

 

बी॰के॰ भ्राता सूर्या जी………………कर भी नहीं सकते और इंतज़ार इतनी करनी पड़ेगी ,

दो चार साल कि जो tension है उसकी कीमत 85 लाख रुपये हो जाएगी तो इसलिए

मनुष्य तो वैसे ही मर जाता है इसलिए एक बिचारा अच्छा व्यक्ति तो मन मारकर ही रह

जाता है,चलो भई कौन court के धक्के खाये, कौन ये टेंशन ले,सोच लेते है पिछले जन्म

का उधार होगा ,वो दे दिया,कर्ज़ पूरा हो गया ऐसे अपने मन को समझा लेते है।परंतु नहीं ,

हमे दूसरे का देना चाहिए पूरी ईमानदारी से।और जिनका नहीं मिल रहा है वो इस तरह

कि practice करे तो देने वालों कि मन्सा ज़रा साफ हो जाएगी और वो देने की भावना

पैदा करेंगे।

 

रूपेश जी……………….भ्राताजी आपने चर्चा करते हुए एक बात कही थी – पवित्र धन और

अपवित्र धन। यदि धन अगर पवित्र है, शुद्ध है तो वो बहुत ज्यादा सार्थक होता है।उससे सुख

और शांति मिलती है और जहां धन मे अपवित्रता है वहाँ दुख,निराशा मे बदल जाता है वो।

घर का परिवेश और बच्चे भी बिगड़ जाते है। इस चीज़ को ज़रा स्पष्ट करें क्योंकि मुझे लगता

है इसकी awareness नहीं है लोगो मे। येन, केन, प्रकारेण कैसे भी धन आए लेकिन लोग वो

चाहते है लेकिन इसका जो बुरा परिणाम उन्हे भोगना पड़ता है,इसकी awareness नहीं है

please इसे थोड़ा स्पष्ट करिए।

 

बी॰के॰ भ्राता सूर्या जी…………….देखिये आजकल जो बहुत सारी समस्याएँ है परिवारों मे,

युवको मे, बच्चे और माँ-बाप के बीच मे ,बीमारियों की, ये सब जो समस्याएँ पैदा हो रही है

उनका बीज यही है की हम गलत धन का प्रयोग कर रहे है।पैसा इकट्ठा किया इधरउधर

से ,बच्चे को engineer बनाया , बच्चा engineer बन गया लेकिन उसकी पत्नी ऐसी आई कि

माँ बाप से कनैक्शन नहीं रखने दे रही है,तंग कर रही है ,सता रही है उन्हे,किसी को बीमारी

लग गयी है,सारा पैसा hospitals मे जा रहा अहि, किसी का पैसा police के पास जा रहा है ,

किसी का कोर्ट केसेस मे जा रहा है तो ये जो impure money है ,जो गलत तरीको से कमाया

गया धन है,ये गलत तरीको से ही नष्ट होता है। इसलिए मनुष्य को चाहिए कि वो गरीबो को

सताये नहीं।हम doctors को भी ये सीखाते है। मैं तो हमेशा कहता हूँ जो मेरे friends है कि

भई कम से कम 5 गरीब patient को फ्री देखो। जो अगर आपके पास 40 patient आते है

तो बिलकुल नियम बना लो कि 5 गरीब patients को हमे फ्री देखना है और ऐसे न करो कि

गरीब लोग आपके पास आ रहे है आप उनको वैसे भी देख करके दवाई दे सकते है लेकिन

बहुत सारा लिख देते है कि blood test, ये test…..क्योंकि उनके नाते होते है pathologists से ,

उनकी उनको कमाई होती है तो ये गलत तरीको से कमाया गया धन कभी भी सुखदाई नहीं

होता है।बच्चे बिगड़ेंगे ,घरो मे अशांति रहेगी।मतलब उसको अपने अंदर एक आंतरिक सुख,

मानसिक सुख प्राप्त नहीं होगा।वो धन को देखकर तो खुश हो जाएगा कि आज एक ही दिन

मे मैंने 10000 रुपये कमा लिए, doctor भी खुश हो सकता है लेकिन उसको जो वास्तविक

सुख मिलना चाहिए वो तब मिलेगा जब वो 5 गरीबो को free सब कुछ करेगा।वो जो सुख है

वो उस 10000 से कहीं ज्यादा बड़ा होगा।इसलिए पवित्र धन ही मनुष्य के लिए सुखदाई है ,

कल्याणकारी है , इस पर बहुत ध्यान देना चाहिए नहीं तो संबंधो की समस्याये ,परिवारों की

समस्याये बढ़ती जा रही है।

 

रूपेश जी……………….बिलकुल तो नैतिकता का ध्यान रखते हुए धन जो भी है वो कमाए,कमाना

तो है ही, परिवार को चलाना ही है लेकिन नैतिकता का विशेष करके ध्यान रखे। अपवित्र तरीके

से, गलत तरीके से निचोड़े नहीं गरीबों का खून क्योंकि वो काम नहीं आयेगा बल्कि बीमारियों मे

पैसे, आपने कहा बहुत सारी समस्याओं मे वो धन नष्ट हो जाएगा।

 

बी॰के॰ भ्राता सूर्या जी…………..समस्याएँ actually इन पाप कर्मो के कारण ही ज्यादा पैदा हो

रही है। किसीने गलत धन से अन्न लिया ,फल लिए, सब्जियाँ खरीदी ,बहुत तरह के भोजन

बनाकर घर मे मेहमानो को भी खिलाया ,खुद भी खाया तो बीमार तो होंगे ही।कहेंगे कि पता

नहीं कि क्या हो गया हमे तो समझ नहीं आ रहा क्या ऐसा भोजन खाया …..क्योंकि पाप पीछे से

काम कर रहा था।तो पाप पाप को ही बढ़ावा देता है,समस्याओं को बढ़ावा देता है।ऐसी

awareness आजकल अच्छे लोगो को होनी चाहिए।अच्छे लोग मैं कह रहा हूँ।जो गरीब है

बिचारे मजदूर है वो तो पाप कर्म जानते ही नहीं ,वो तो इन तरीको से पैसे कमाना जानते भी नहीं।

 

रूपेश जी………..वो तो मेहनत की रोटी खाते है इसलिए वो स्वस्थ रहते है….

 

बी॰के॰ भ्राता सूर्या जी……………लेकिन जो educate तबका है हमारा , कोई बहुत अच्छी एक

चर्चा अखबार मे आयी थी कि कोई नेता भाषण कर रहा था कि educate होना चाहिए,

education का विस्तार करना चाहिए,गाँव-गाँव मे education होनी चाहिए।एक व्यक्ति खड़ा

हुआ और उसने कहा “नेताजी, जीतने educated लोग है वही तो corrupt है ,एक गाँव के किसान

को तो पता भी नहीं कि corruption क्या होता है,उससे पैसा कैसे कमाया जाता है तो इस

education ने पाप बढ़ा दिया है।कुछ और करो” नेता को कह रहा था वो खड़ा होकर। तो

ये ऐसी चीज़ है इसलिए पवित्र धन पर बहुत ध्यान देना चाहिए।

 

रूपेश जी…………………ये मेल हमारे पास पटना से आया है और ये कह रहे है कि मेरी

उम्र 60 वर्ष से ज्यादा हो गई है और पिछले 20 वर्षो से मैं sunfear अर्थात सूर्य से भय

होना, sunfear से मैं suffer कर रहा हूँ , मुझे और भी कई psychological problems है।

मैंने कई आध्यात्मिक अभ्यास किए है, meditation किए है फिर भी मेरे sub-conscious

mind मे ये इतना चला गया है कि मैं इससे पूरी तरह मुक्त नहीं हो पा रहा हूँ, मैं क्या करूँ ?

 

बी॰के॰ भ्राता सूर्या जी…………….ये sunfear नहीं sunburn होगा

 

रूपेश जी………………..इन्होने sunfear शब्द use किया है भ्राताजी

 

बे॰के॰ भ्राता सूर्या जी……………..वो गर्मी से जल जाती है उनकी skin फिर भय भी पैदा हो

गया होगा तो बिल्कुल स्पष्ट है कि पूर्व जन्म मे इनको इस तरह के कष्ट हुए है,गर्मी से परेशानी

हुई है, बहुत ज्यादा दम घुट गया है, कभी ऐसा होता है गर्मी बहुत हो रही हो और पानी नहीं

मिलता है पीने को तो किसी न किसी तरह से अग्नि के प्रकोप से इनको जो कष्ट हुआ है तो

subconscious mind मे इस तरह की  चिंताएँ , इस तरह का भय इनके अंदर समा गया

है लेकिन भय को समाप्त करने के लिए देखिये इनको बहुत जरूरत होगी meditation कि

और meditation मे एक विशेष अभ्यास की कि मैं आत्मा इस सम्पूर्ण प्रकृति की मालिक हूँ

तो इस प्रकृति से हमे डरने की जरूरत नहीं।प्रकृति तो सदा ही हमारी पालना करती आई है

चाहे उसमे सूरज हो , चांद हो या चारो ओर हवा ,पानी,आकाश ये सब जो प्रकृति की चीज़े है

ये तो मनुष्यो के पालन पोषण के लिए है।ये निरंतर मनुष्य की पालना कर रही है।उसको सुख

दे रहे है तो ये भावना जागृत करे। ये इसको जो भय हो गया है उसको समाप्त करने के लिए

meditation भी करे और बहुत अच्छा अभ्यास भी करे।“मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ, निर्भय हूँ “

सवेरे उठते ही कम से कम 21 बार इसका अभ्यास करे और “मैं प्रकृति का मालिक हूँ , ये प्रकृति

मेरी सहयोगी है,मेरी साथी है, मुझे सुख देने वाली है” ऐसे संकल्प रोज़ सवेरे बार-बार करेंगे तो ये

भय समाप्त हो जाएगा लेकिन इनकी मानसिक स्थिति कुछ ज्यादा ही दयनीय लगती है।

 

रूपेश जी…………….लगभग 20 वर्षो से suffer कर रहे है

 

बी॰ के॰ भ्राता सूर्या जी………………….हाँ…. 20 वर्ष का बहुत लंबा काल होता है।इस एक

मानसिक बीमारी के साथ अनेक मानसिक बीमारियाँ जुटती चली जाती है और कभी-कभी

मनुष्य बहुत irritate रहने लगता है, उसे क्रोध भी बहुत आने लगता है इसलिए इनके लिए

ईश्वरीय ज्ञान लेना परम आवश्यक है। पहली जरूरत होगी इनका चित पूरी तरह शांत और

खुशी से भरपूर हो जाए, भय की बात तो बाद मे लेंगे लेकिन पहले ये लक्ष्य रखे कि इनका

चित शांत हो , विचार positive हो जाए, मन खुशी से भरपूर हो जाए तो जब ये हमारे ईश्वरीय

विश्वविद्यालय मे जाएगा और इसे पता चलेगा कि भगवान इस सृष्टि पर आया हुआ है , मेरा

भाग्य जगाने के लिए आया हुआ है,मेरे लिए स्वर्ग हथेली पर लाया हुआ है, मुझे राजतिलक

देने आया है, स्वयं भगवान पढ़ा रहा है तो इसके मन मे खुशी कि लहरें उठने लगेगी। इसकी

बहुत जरूरत है।हमारे यहाँ जब मनुष्य आते है, आत्माए आती है तो पहले उन्हे मिलती है

खुशी, शांति से पहले मिलती है खुशी। परमात्म मिलन की ओर कदम बढ्ने लगते है। सुंदर

ज्ञान मिल जाता है। हम कौन थे , हम किसके है, हमारा भविष्य कितना सुंदर है ये सब जानकारी

होने से चिंताएँ मिटने लगती है।मनुष्य सोचता है तुम किस चीज़ की चिंता कर रहे हो ,जिसकी

चिंता तुम कर रहे हो वो तो चिंता करने योग्य ही नहीं है तो खुशी लौटती है तो पहले इनको

बहुत जरूरत रहेगी खुशी की। वो सब ईश्वरीय ज्ञान से होगा और ये बार-बार अभ्यास करेंगे

“मैं आत्मा peaceful हूँ ,मैं आत्मा तो peaceful हूँ, मैं आत्मा तो peaceful हूँ” तो इनकी शांति

बढ़ती जाएगी और ज्ञान के चिंतन के द्वारा इनका मन negative से positive होता जाएगा तो

total मनोस्थिति बदलेगी।मनोस्थिति बदलने से जो अंदर भय है वो स्वतः ही नष्ट हो जाएगा।

 

रूपेश जी………………… बिल्कुल.. तो मनोस्थिति को परिवर्तित करने की आवश्यकता है

क्योंकि वास्तव मे जो भी psychological problems होते है वो मन से ही उत्पन्न होते है

भ्राताजी। क्योंकि मन ही यदि कमजोर है, मन मे कोई एक विशेष प्रकार का thought

चला गया होता है वही बार-बार परेशान कर रहा होता है वही अनेक प्रकार की समस्याओं

को जन्म दे देता है और physically भी कई प्रकार की जो परेशानियाँ है ,बीमारियाँ है वो

जन्म ले लेती है।

 

बी॰ के॰ भ्राता सूर्या जी……………बिल्कुल…..मन जब प्रसन्न हो जाता है तो अनेक बीमारियाँ

आपेही नष्ट हो जाती है इसलिए कहा गया है खुशी जैसी खुराक नहीं और खुशी की तरंगे

जब पानी मे mix up होती है, हमारी देह मे 70% पानी भी तो है ना। और हमारा ये पानी

हमारे मन के vibrations को तुरंत ग्रहण कर लेता है। अगर किसी के मन मे चिंता है,

भय है,एक बिना मतलब की अशांति सी, परेशानी सी बनी रहती है तो हमारे इस देह मे

जो पानी है उसको negative vibrations जाते रहते है तो बीमारियाँ बढ़ती रहती है और

जैसे ही मन प्रसन्न रहने लगता है तो जब मन प्रसन्न होता है वो negative संकल्प आपेही

नष्ट होते है , चित शांत होता है, तो पानी को pure energy मिलती है तो अनेक बीमारियाँ

नष्ट हो जाती है।

 

रूपेश जी…………….बिल्कुल…..तो सार ये ही हो जाता है भ्राताजी कि मन को खुश रखे,

मन को प्रसन्न रखे, मन को चिंताओ से मुक्त रखे और ये कार्य करता है ईश्वरीय ज्ञान और

राजयोग का अभ्यास। जैसे हम ये महसूस कर पाते है कि ईश्वर हमारे साथ-साथ है इसलिए

डरने की क्या बात है….भ्राताजी आपका बहुत-बहुत ध्न्यवाद………मित्रो जीवन मे जैसा कि

हम हमेशा कहते आए है यदि परमात्मा का सानिध्य मिल जाए हमे, यदि हम अनुभव करने

लगे कि हमेशा हम उनकी छत्रछाया मे है, वो हमारे अंग-संग है तो निश्चित रूप से सभी

प्रकार की परेशानियाँ दूर हो जाती है। मन को राजयोग के अभ्यास से प्रसन्न रखे, खुश रखे,

शांत रखे तो आप पाएंगे की बहुत सारी तकलीफ़ें जो मानसिक है, शारीरिक है वो दूर होती

जा रही है। आपका जीवन ऐसे ही खुशियों से भरा रहे। आपका दिन भी बहुत –बहुत शुभ

और मंगलमय हो। इन्ही कामनाओं के साथ दीजिये इजाज़त, नमस्कार!!!

 

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