Samadhan Episode – 00021 Children Problems

CONTENTS :

1. पढ़ाई:- परीक्षा का भय और उसका उपाय

2. मन को अपना दोस्त कैसे बनाए ?

3. Spiritual Practices

     

    रूपेश जी   …………..  नमस्कार, स्वागत है आपका समाधान मे। मित्रो,

    चर्चा हो रही है exam fear की। विद्यार्थियों के अंदर परीक्षा कहीं न कहीं

    भय का रूप ले लेती है जिसके कारण वो परेशान रहते है और जितना

    उन्हे अपना सुंदर performance देना चाहिए उतना वो नहीं दे पाते है तो

    exam fear को कैसे दूर किया जा सकता है, exam कितना आवश्यक है

    जीवन मे आगे बढ्ने के लिए इसकी चर्चा हमलोगों ने की। एक महत्वपूर्ण

    चर्चा आज हम करने जा रहे है कि जो exam fear है उसे कैसे दूर किया जा

    सकता है, कैसे सहज रूप से परीक्षा को लिया जाए ताकि इसे आनंदपूर्वक

    दिया जाए और सफलता प्राप्त किया जाए? तो हमेशा की तरह हमारे साथ

    studio मे साथ है आदरणीय सूर्या भाईजी। आइये स्वागत करते है उनका।

    भ्राताजी स्वागत है आपका………

     

    बी॰ के॰ भ्राता सूर्या जी   ……………..  शुक्रिया…..

     

    रूपेश जी   …………..  चर्चा बहुत अच्छी चल रही है, कई लोगो के response भी

    बहुत अच्छे मिले है कि भय की चर्चा तो आपलोगो ने की लेकिन निवारण क्या हो?

    क्यूंकी कहीं न कहीं ये भय बना ही रहता है विद्यार्थी के अंदर जब मैं कल अपने

    आप को देख रहा था हमारी चर्चा के बाद भ्राताजी तो पढ़ाई मे भले बहुत अच्छे थे,

    बहुत अच्छी तैयारी भी किया करते थे लेकिन कहीं न कहीं एक stress जरूर थोड़ा

    सा रहता था कि पता नहीं paper कैसा आएगा, कौन-कौन से questions आएंगे,

    हमने तैयार किए है वो आएंगे या कुछ ओर आ जाएंगे? तो कहीं न कहीं ये चीज़ तो

    रहती ही है तो मैं आपसे भी जानना चाहूँगा कि जब आप परीक्षा दिया करते थे तो

    आपके मन मे भी कहीं न कहीं भय रहा करता था?

     

    बी॰ के॰ भ्राता सूर्या जी   …………..   नहीं…मेरा अपना अनुभव दूसरा ही था। मैं तो

    जैसे परीक्षा का wait किया करता था क्यूंकी हम पढ़ाई-लिखाई मे जरा बहुत ही आगे

    थे। ऐसा कह सकते है कि भई अच्छा तो नहीं लगता कि topmost student थे। तो हम

    तो enjoy किया करते थे। और सच बात तो ये है कि पढ़ाई की पहले की जो रात है दिल

    भरके सोया करते थे……

     

    रूपेश जी  ………….   ये तो ठीक विपरीत है आजकल के विद्यार्थी पूरी रात जागते है

    और दूसरे दिन जाकरके exam देते है…

     

    बी॰ के॰ भ्राता सूर्या जी    ………..   तो सोते थे। पता नहीं था कि ज्यादा जागना चाहिए

    या नहीं पर जितनी आराम से नींद हो रही थी, तैयारी पहले से ही अच्छी होती थी बल्कि

    exam के पहले तो ऐसे हम बहुत ज्यादा पढ़ते नहीं थे क्यूंकी एक understanding

    बहुत अच्छी हो जाती थी तो रटने की जो बात है वो कम से कम रहती थी।  

     

    रूपेश जी   ………….  ये रात वाली बात आई है तो भ्राताजी मैं थोड़ा सा इस विषय को

    छेड़ूँगा कि ज़्यादातर विद्यार्थी आजकल यही करते है कि रात-रात भर जग करके पढ़ते है

    और फिर दूसरे दिन जाकर के परीक्षा देते है तो एक भय भी बना रहता है कि revision

    complete हुआ नहीं है और साथ ही वो जो थकान है वो थकान भी कहीं न कहीं exam

    मे देखने मे आती है….

     

    बी॰ के॰ भ्राता सूर्या जी   ……….  नहीं बिलकुल ये बात most important है medically

    भी हालांकि मैं doctor नहीं हूँ पर जो बच्चा भोजन खाकर और जागेगा उसका digestion

    अच्छा नहीं रहेगा, कहीं न कहीं acidity, gas या शरीर मे एक विशेष तरह की

    negative feeling पैदा होगी। वो भी कहीं न कहीं भय create करती है, confidence

    को down करती है इसलिए बहुत अच्छी बात है कि exam के दिन पहले night को

    कम से कम 6 घंटे तो सोना ही चाहिए। अपनी preparation को ऐसा manage करे,

    time table बनाए कि ऐसा नहीं कि बस पढ़ ही रहे है और पढ़ते-पढ़ते जा रहे है और

    वहाँ class मे जाकर नींद का effect तो होगा ही, हल्का-हल्का उसका brain पर

    effect होता है और होगा ये कि जो याद किया वो भूलेगा। वो ये सोचते है कि ज्यादा

    जागेंगें, जाते-जाते पढ़ेंगे तो सब कुछ याद रहेगा पर नींद की कमी याद किए हुए को

    भुलाएगी। ये बात सभी बच्चो को याद रखनी है… 

     

    रूपेश जी  …………  कई लोग ऐसा भी करते है जैसा आपने कहा कि last moment

    तक अपनी किताब या अपनी notebooks साथ लेकरके जब तक वो hall मे enter

    करे तब तक वो पढ़ते ही रहते है-पढ़ते ही रहते है। ये भी भ्राताजी…………..

     

    बी॰ के॰ भ्राता सूर्या जी   …………..   हाँ इससे अच्छा तो ये है कि भले उन्हे बहुत interest

    हो या आवश्यकता हो तो जो पढ़ा हो उसको revise करते हुए भले जाए। बल्कि enjoy

    करते हुए जाए। मैं ये कहूँगा “exam आ रहा है (डर से)….ये नहीं बल्कि “exam आ रहा है,

    enjoyment॰” जैसे we were waiting for thatExam आ रहा है, अब हम दिखाएंगे

    कि हम क्या है……

     

    रूपेश जी    ……….  जैसे की कोई योद्धा होता है तो वो युद्ध को भी enjoy करता है…..

     

    बी॰ के॰ भ्राता सूर्या जी  ……………   इससे क्या होगा कि जो कुछ भी याद किया हुआ है वो

    सब काम करेगा। मैं आगे भी आऊँगा, कुछ चीजे हमे विद्यार्थियों को सिखानी है जो जरूरी है।

     

    रूपेश जी   …………..   तो भ्राताजी मूल प्रश्न पर आते है कि ये जो एक fear है या एक fever

    है या एक phobia है जो विद्यार्थियो मे घर कर गया है, कैसे इसे दूर किया जाए?

     

    बी॰ के॰ भ्राता सूर्या जी    ……….   बहुत अच्छी मेरे पास ऐसी विधि है जिनको psychological

    विधि कहे या spiritual methods कहे, जिनके द्वारा बहुत अच्छा result इसका मिलेगा, भय

    भी खतम होगा और expected जो result है उसको हम achieve कर सकेंगे तो ये केवल

    theoretical नहीं है। मैं बहुत बच्चो से करता हूँ और ऐसे-ऐसे miraculous, चमत्कारी भी

    effect मुझे इसके देखने मे आए है। तो सबसे पहली एक चीज़ है कि हम परीक्षा से 15 दिन

    पहले से एक काम शुरू करेंगे लेकिन जो कुछ बातें मैं बताने जा रहा हूँ उसमे पहला महत्व है

    आत्म-विश्वास का, self-confidence॰ जो प्रयोग हम करने जा रहे है वो सम्पूर्ण रूप से successful

    होगा तो उसमे एक प्रयोग है कि जीतने अंक हम चाहते है यानि जो हमारा लक्ष्य है उसको हम

    रोज़ सवेरे 7 बार कागज पर लिखें। उठते ही लिखेंगे, ये काम उठते ही करेंगे क्यूंकी उठने के

    वक़्त हमारा sub-conscious mind active होता है। जब भी बच्चे उठे, 6 बजे सवेरे उठे,

    साढ़े 6 उठे, 7 उठे, कोई 5 बजे भी उठते है। exam के 15 दिन पहले से ही ये काम करना

    चाहता हूँ। मान लो उन्हे है मेरे 90% marks आने ही चाहिए। अब एक language ये है कि

    मेरे 90% marks आने चाहिए पर हम लिखने मे language use करेंगे – “मेरे 90% marks

    आएंगे” और इसको 7 बार लिख दे।

     

    रूपेश जी   …………  जैसे ही वो सुबह उठे…

     

    बी॰ के॰ भ्राता सूर्या जी   ………….   और 7 दिन तक लिख दे। तो power of sub-conscious

    mind will lead them to their destination॰ आपेही ये होगा चाहे अंक देने वाले हो

    जब copy check होगी, चाहे उनके लिखने का तरीका हो या उनकी तैयारी हो। इन तीनों

    को ये affect करेगा। इसमे बहुत सुंदर एक चीज़ काम करती है जो बड़ो को भी जाननी

    चाहिए और छोटो को भी जाननी चाहिए। बच्चे चाहे छोटे class के है, engineering,

    MBA, B-Tech, किसी भी higher education, medical के है, IIT के है कि अगर हम

    कोई अपना लक्ष्य निश्चित करते है और उसे हम 7 बार लिखते है और मान लो 7 दिन तक

    भी लिखते है तो हमारी brain की समस्त शक्तियाँ हमे उस लक्ष्य तक पहुँचने मे कार्यरत

    हो जाएगी active हो जाएगी, और brain मे अनंत शक्तियाँ है , brain मे अनंत ज्ञान है,

    यही बात एक मनुष्य को, विद्यार्थी को विशेष रूप से जाननी चाहिए कि हमारे brain मे

    बहुत कुछ print है, हम पढ़-लिखकर याद करके तो just उसे emerge कर रहे है,

    active कर रहे है अन्यथा बहुत सारी चीज़ हमारे brain मे ही है तो ये एक बहुत सुंदर

    विधी होगी।

     

    रूपेश जी   ……………   ये विधी जो भ्राताजी आपने बताई, इससे पहले कि आप आगे

    बढ़े, कुछ प्रश्न मेरे मन मे आ रहे है, जो शायद विद्यार्थियों के मन मे आए। आपने कहा

    15 दिन पहले से ये लिखे। क्या ये नहीं हो सकता कि वर्ष के शुरू से ही या बहुत पहले

    से ही हम ये कर सकते है?

     

    बी॰ के॰ भ्राता सूर्या जी   …………   देखिये कर तो सकते है पर क्योंकि exam का एक

    effect, exam का एक craze कहे या उसका एक प्रभाव मनुष्य पर तभी शुरू होता है

    एक मास, एक-आध मास पहले से ही। तो तब वो लक्ष्य बना लेना, वैसे पहले से ही अगर

    ये लक्ष्य बनाया जाए तो और अच्छा हो। पहले से ही अपने मन मे ये एक चीज़ रख ले-

    “मुझे ये grade लेना है या मेरे marks इतने आएंगे।“ और भले 7 बार नहीं एक बार लिख

    लिया करे या एक ही बार लिख कर रख दे अपनी diary मे जो उनकी दृष्टि मे आता

    रहे, वो पढ़ते रहे……

     

    रूपेश जी   …………   क्यूंकी भ्राताजी मान लीजिये शुरू से करते है या चलिये 6 मास

    पहले से करते है या वर्ष के प्रारम्भ से करते है तो कहीं न कहीं ये बात उन्हे और ज्यादा

    प्रेरित करेगी यदि तुम्हें इतने percentage लाने है तो तुम इतनी मेहनत करो और

    ध्यान दो और यदि 15 दिन पहले से ही वो कर रहे हो, maybe उनकी तैयारी

    इस रूप मे न हो……….

     

    बी॰ के॰ भ्राता सूर्या जी    ………….…   तो clash होगा, विचारो मे, result मे। ये बात

    आपने ठीक कही लेकिन फिर भी कुछ बच्चे ऐसे होते है जो बचपन से ही उस तरह

    का लक्ष्य लेकर नहीं चलते है लेकिन exam का एक मास रह गया तो उन्हे अब

    ज्यादा उमंग आती है तो ऐसे बच्चे तब कर सकते है लेकिन बहुत अच्छे बच्चे है,

    बुद्धिमान भी है, समझदार भी है और जो अपने भविष्य को clear देखते है, जिनके

    माँ-बाप भी भविष्य की vision बनाने मे उनको बहुत मदद करते है वो पहले से

    कर सकते है तो बहुत अच्छा होगा।

     

    रूपेश जी   …………..  जी….एक चीज़ और मेरे ध्यान मे इसी चीज़ से जुड़ी हुई

    आई थी भ्राताजी, मान लीजिये मेरी क्षमता उतनी नहीं है। अब हमेशा से मेरे

    percentage आते रहे है 60% या 65%, 70%, below 70% ही रहे है अब एकाएक

    यदि मैं above 90 रख लेता हूँ तो क्या यहाँ भी clash नहीं होगा?

     

    बी॰ के॰ भ्राता सूर्या जी  …………   यहाँ भी clash होगा इसलिए अपनी क्षमताओ

    को ख्याल मे रखते हुए हम इस percentage को धीरे-धीरे बढ़ाएँगे। एक exam

    मे हम इसको 5% तक बढ़ाएँगे, दूसरे मे फिर और 5 बढ़ाएँगे लेकिन अगर मान

    लो कि हमारा एक ही exam है मान लो हम 12वी का exam दे रहे है, बहुत

    important है हमारे future के लिए तो उसमे हमे अपनी preparation plus

    aim दोनों को parallel करना पड़ेगा कि अगर हमारे 70% marks आते थे और

    हमे अब 90 चाहिए तो हम एक target तो बना ले कि मेरे 90% marks आएंगे

    लेकिन उसी अनुसार हम तैयारी भी करे। मान लो हम तैयारी नहीं करते एक

    उदाहरण कि हमने लक्ष्य बना लिया और कोई सोचे कि मैंने ये बात कही थी और

    हमने लक्ष्य बना लिया – देखे क्यों नहीं आएंगे, तो क्या होगा हमारा sub-conscious

    mind उस field के लिए active हो गया है तो वो हमे रात को सोने नहीं देगा।

    वो जगाएगा कि तुम करो लेकिन हम reject कर रहे है कि हम नहीं करेंगे

    तो इसमे clash होगा और हम असफल हो जाएंगे। इसलिए दोनों चीजों को

    हमे समानान्तर करना है या तो हम पाँच-पाँच percent बढ़ाएँगे लेकिन यदि

    हमे एकाएक भी अपने 10-15% marks बढ़ाने है तो उसी अनुसार हम उसके

    preparation को भी महत्व दे और ये पाएंगे हम कि अगर हम ठान ले कि हमे

    उतना ही अपने को prepare करना है तो हमारे sub-conscious mind की

    power और हमारी बुद्धि की power हमे वो कराने मे बहुत मदद करेगी।

     

    रूपेश जी   ………….   मतलब इसको भी एक experiment के तौर पर जरूर

    करके देखे विद्यार्थी कि हम ये aim रखे तो जरूर वो हमे motivate करता रहेगा

    कि नहीं ये तुम करो बस reject न करे, जैसी प्रेरणा आ रही है उसी प्रकार से हम

    कार्य करते जाए। भ्राताजी, इसमे एक चीज़ औए विशेष करके जैसे मान लीजिये ये

    हमने अपने sub-conscious mind मे जैसा कि आपने कहा कि रोज़ सुबह उठकर

    के सात बार वो लिखे और लिख करके अपने sub-conscious mind मे वो डाले

    तो विशेष करके कई लोग ऐसा कहते है कि किसी खास sheet पर लिखे, उसका

    colour नीला हो, पीला हो, हरा हो, इस प्रकार की बातें भी कहते है…

     

    बी॰ के॰ भ्राता सूर्या जी   …………   हाँ ये भी अच्छी बात है और मैं ये भी clear कर

    दूँ कि मैं सात बार ही क्यूँ कहता हूँ? कहीं-कहीं मैं 21 बार भी कराता हूँ लेकिन

    कहीं-कहीं एक बार करना भी काफी होता है। करने का अर्थ है कि हमारा

    sub-conscious mind उसे fully accept कर ले, reject न करे लेकिन

    सात बार करने से थोड़ा acceptance धीरे-धीरे होकर rejection खतम हो

    सकता है इसलिए हम थोड़ा ऐसा ज्यादा बार उसको कराते है।

     

    रूपेश जी   ………….   जी…जी… इसलिए सात बार किया जाय और खास करके

    सुबह चूंकि हमारा sub-conscious mind जागृत रहता है उस समय विशेष करें।

    15 दिन पहले भी कर सकते है, उससे पहले भी। और एक खास बात आपने जो कही

    थी कि पूरे आत्म-विश्वास के साथ करे कि ऐसा होगा ही तब जा करके इसका जो

    परिणाम है वो हमे देखने को मिलेगा…

    बी॰के॰ भ्राता सूर्या जी   …………   तो rejection नहीं होगा। बस ये बात तो विशेष

    रूप से understand करने की है की अगर हम reject कर रहे है उसको, हमने

    लिख भी लिया माना सात बार लेकिन फिर भी हम ऐसा कह रहे है कि “यार पता

    नहीं होगा भी या नहीं या भला कहीं ऐसे होता भी है क्या?ऐसे होने लगे तो सब न

    कर ले…” ऐसा अगर हम सोच रहे है तो भी नहीं होगा। इसलिए only one thought

    must be there, it is going to happen like this, it will happen this way only.

    ऐसा confidence अगर पूरा हो तो ऐसी कोई बात ही नहीं कि वैसा न हो। मैंने

    इसपे बहुत अच्छे-अच्छे experiment कराये दूसरी चीज़ भी मैं आपको कहना चाहूँगा,

    देखिये exam fear को ही खत्म करने के लिए और जो हम बात कर रहे थे कि लोगो

    को होता है hard marking न हो जाए, question paper hard न आ जाए, out of

    syllabus न हो जाए, ये न हो जाए, वो न हो जाए…..ये एक ऐसा fear है जिसके पीछे

    कुछ तर्क तो नहीं है लेकिन मनुष्य को उल्टा सोचने की आदत पड़ी हुई है। चाहे उसकी

    तैयारी कितनी भी हो फिर भी वो एक fearful feeling से दबा रहेगा, कहीं ऐसा न

    हो जाए | कहीं ऐसा न हो जाए…तो मैं अपने विद्यार्थियो को इसमे एक बहुत अच्छी बात

    ये कहना चाहता हूँ कि ये spiritual practice है और actually top level की है,

    इसमे जो बड़ी classes के जो बच्चे है, या higher education के बच्चे है, medical

    के है या कोई MD कर रहा है, या कोई MS कर रहा है या MTech कर रहा है या

    MBA कर रहा हैं वो इसको बहुत अच्छी तरह understand कर सकते है और छोटे

    बच्चे भी कर सकते है मैं simple रूप से इस बात को कहूँगा देखिये हमारा

    sub-conscious mind एक ऐसा mind है जिसको मनोवैज्ञानिकों ने universal mind

    भी कह दिया है। यानि मेरा sub-conscious mind उनके sub-conscious mind

    से तुरंत जुड़ जाता है जिससे हम concern है, जिससे हमारा कुछ relation है या

    जिसके बारे मे हम सोच रहे है सहज भाषा में। तो मैंने एक बहुत अच्छी practice

    कई students से कराई और practice मैंने ये कराई थी कि experiment मैं

    कहूँगा- एक लड़की जिसने medical course complete किया था और वो IAS का

    competition दे रही थी चंडीगढ़ की लड़की। तो उसके father ने मुझे phone

    किया, वो chief attorney है वहाँ के और हमसे पहचान है तो मुझे फोन किया कि

    भई ये लड़की IAS का दे रही है लेकिन डर बहुत रही है तो मैंने उससे बात की और

    उसे एक बहुत अच्छी चीज़ सिखाई। मैंने कहा तुम रोज़ सवेरे उठकर 7 बार एक

    संकल्प करना – “मैं सर्वशक्तिमान की संतान एक शक्तिशाली आत्मा हूँ” हम साथ

    मे इसमे देते है “ मैं master almighty हूँ” और फिर संलकल्प करना कि “ जो

    questions मैं तैयार करूंगी वही आएंगे” वो हंसने लगी कि ऐसा होता है क्या?

    अरे मैंने कहा “ ऐसा ही होगा तुम करके तो देखो” मैंने उसके अंदर confidence

    जगाया, थोड़ा सा समय लगा। वो डर इतना ही था कि भला ऐसा कैसे होगा? फिर

    मैंने उसको इस सिद्धान्त को थोड़ा explain किया की ये कैसे होता है? चार paper

    थे और चारों मे वो सुबह मुझे phone करती थी कि मुझे डर लग रहा है फिर मैं उसे

    ये confidence दिलाता था और फिर 12 बजे उसका phone आता था कि सचमुच

    ऐसा ही हुआ जो questions मैंने prepare किए थे वही सब के सब आ गए। फिर उ

    सने आखिर मेरे से पूछा कि ऐसा भला कैसे हो गया? हो गया ये तो सत्य है लेकिन हुआ

    कैसे? इसके पीछे theory क्या काम कर रही थी, philosophy कौन सी है? तो मैंने

    उसे बताया कि देखिये किसी भी professor ने या जिसने भी ये questionnaire

    लिखे है उसने अब से 3 मास पहले लिख दिये थे। तुम्हें उसका कुछ पता नहीं था

    लेकिन तुमने practice कि “मैं मास्टर almighty हूँ, I am a powerful soul” तो

    आपके thoughts मे power आ गई और अब आपने सोचा जो questions मैं

    तैयार करूंगी वही आएंगे तो क्या हुआ, paper तैयार करने वाले का sub-conscious

    mind और आपका sub-conscious mind मिल गए और जो उन्होने लिखा था उसपे  

    आपका ध्यान जाने लगा कि मैं ये पढ़ूँ, बस वही आपने पढे, वही तैयार किए और वही

    लिखे गए थे तो ये सूक्ष्म philosophy इसके पीछे काम करती है…

     

    रूपेश जी   ………..   लेकिन भ्राताजी आप explain करे उससे पहले जो मेरे मन मे

    बात उठ रही है यदि ऐसा हरेक विद्यार्थी करने लगे, यदि complete preparation

    न करे और केवल ये कि मैं जो तैयार करूँ वही आए और इसी पर focused हो जाए

    और यदि लाखों विद्यार्थी prepare करते है उसके लिए तो ये अलग-अलग प्रकार की

    बातें नहीं हो जाएगी?

     

    बी॰ के॰ भ्राता सूर्या जी   ………..   बिलकुल ठीक बात है आपकी……….

     

    रूपेश जी   ………….   और यदि वो complete तैयारी करके जाते तो शायद

    ज्यादा सफलता मिलती और……

     

    बी॰ के॰ भ्राता सूर्या जी    …………  नहीं…complete तैयारी भी करनी चाहिए लेकिन

    बच्चो के अंदर एक जो भय होता है, जो तैयारी उन्होने की भी चाहे complete की हो,

    चाहे incomplete की, मान लो उनको दस questions paper मे आएंगे और उन्हे 6

    करने है और उन्होने इसके लिए 25 questions तैयार किए। ऐसा तो कोई बच्चा नहीं

    होगा जो 10 ही questions तैयार करेगा कि उनमे से 6 आ जाएंगे, 25 तो वो

    अवश्य करेगा…

     

    रूपेश जी   …………   मतलब अपनी तैयारी full रूप मे हो……

     

    बी॰के॰ भ्राता सूर्या जी    …………   ये अगर 25 questions तैयार करता है और

    ये experiment भी करता है, इसमे मन की शक्तियों को बढ़ाने की बहुत आवश्यकता

    है जो राजयोग meditation से होती है और जो इस good feeling से होती है कि

    “ मैं सर्वशक्तिमान की संतान master सर्वशक्तिवान हूँ” तो इससे हमारी सोयी हुई

    शक्तियाँ जागृत हो जाती है और जब हमारी शक्तियाँ जागृत होगी तो हमारे sub-conscious

    mind मे हमारी मन की शक्ति का 90 percent रहता है तो हमारा sub-conscious

    mind भी बहुत powerful हो गया तो बिलकुल clear catching उसके पास होगी

    और अगर वो 25 questions तैयार करते है तो ये होगा नहीं कि उनमे से 6 उनको

    न मिले। लेकिन इसमे full confidence और इस practice की बहुत आवश्यकता

    है बाकी रही बात कि सभी बच्चे लाखो ऐसा कर ले, हम और आप दोनों जानते है

    सभी तो सब कुछ कर नहीं पाते है संसार मे। किसी को confidence होता है, किसी

    को rejection होता है, किसी को अपने मे ही विश्वास नहीं होता तो कोई सिद्धांतो मे

    विश्वास नहीं रखता- “अरे भला ऐसे कहीं होता है क्या? ऐसा हो जाए तो सारा काम न

    ऐसा हो जाए” लेकिन जो करेंगे उनके पास good result होगा। मैं ये अभ्यास बहुतों

    से कराता हूँ जो candidates interview देने जाते है उनसे भी मैंने बहुतों से कराया

    है दस से तो इसी साल मे करा दिया 2012 मे। मैंने उन्हे तैयार किया कि तुम ये practice

    करो सवेरे-सवेरे- “ मैं सर्वशक्तिवान की संतान master सर्वशक्तिवान हूँ” सात बार

    और फिर संकल्प करो – “interview मे मुझसे वही questions पूछेंगे जिनके उत्तर

    मुझे आते है” और मुझे ऐसा अनुभव है कि दस के दस इसमे सम्पूर्ण सफल हुए किसी

    कों भी ऐसा नहीं लगा कि उन्होने वो पूछ लिया हो जो हमे confuse कर रहा हो, जो

    हमे डरा रहा हो या जो unanswered हो…….

     

    रूपेश जी   ……….  जी….ये तो बहुत ही सुंदर आपने युक्ति बता दी, विधि बता दी।

    इनका इस्तेमाल करके वो अपने भय को दूर कर सकते है…..

     

    बी॰ के॰ भ्राता सूर्या जी   …………..  मुख्य लक्ष्य वही है।

     

    रूपेश जी   …………   जी….जी….ये कि अपनी तैयारी पूरी तरह से करके रखे और

    चलिये अगर किसी कारण से तैयारी पूरी नहीं भी हो पायी है तो इन spiritual practices

    को करके वो सफलता अर्जित कर सकते है। कि “मैं सर्वशक्तिवान की संतान

    master almighty हूँ” और दूसरा thought जो भ्राताजी आपने कहा- वही प्रश्न आएंगे।

     

    बी॰के॰भ्राता सूर्या जी   ………..  वही प्रश्न आएंगे जो मैंने prepare किए है…

     

    रूपेश जी    ………….   केवल ये दो विचार…….

     

    बी॰के॰ भ्राता सूर्या जी   ………..    ये पहले से करने पड़ेंगे केवल exam के पहले से नहीं,

    कम से कम एक मास पहले से तो हमारा ध्यान उन्हीं questions पर जाएगा जो आ रहे है

     

    रूपेश जी   ………….   जी…जी….जी….. अच्छा ये जो आपने practice कराये थे जो

    आपने बात कही की IAS की तैयारी कर रही थी जो बहन…तो उनका क्या हुआ ? उन्होने

    भी सफलता अर्जित की?

     

    बी॰के॰ भ्राता सूर्या जी   …………  हाँ बिलकुल सफलता उन्हे हुई लेकिन फिर यहाँ

    सब कुछ छोड़कर उनकी marriage हो गयी Canada मे तो उन्होने सब कुछ छोड़ दिया…

     

    रूपेश जी   …………   जी…जी…..लेकिन वो बिलकुल सफल हो गयी थी…..तो ये जो

    दो practices भ्राताजी आपने, spiritual practices बताई, एक तो लिखने की बात

    आपने कही और दूसरा इस प्रकार से अपने sub-conscious mind में ये विचार

    डालने की बात कही। इसके अलावा भी किस प्रकार की और……………

     

    बी॰के॰ भ्राता सूर्या जी   ………..  बहुत है हमारे यहाँ राजयोग की बहुत अच्छी विधियाँ है।

    जब हम राजयोग की बात कहते है तो कई पैरेंट्स, कई विद्यार्थी ये सोच सकते है कि ये हम

    अपनी कुछ बात कर रहे है लेकिन हमारा लक्ष्य है मन, बुद्धि और हमारा sub-conscious

    mind, तीनों की शक्तियों को activate करके विद्यार्थी उसका क्या फायदा उठा सकते है,

    उसकी विधि suggest करना जो मै कराता हूँ तो देखिये ये विधि है कि हम पहले ये थोड़ी

    सी good feeling मे आए, awareness मे आए कि “ मैं आत्मा यहाँ हूँ, point of energy,

    ये मन, बुद्धि दोनों मेरी शक्तियाँ है “ बहुत अच्छी feeling मे आए। कहते भी है न मेरा मन,

    मेरी बुद्धि तो ये मेरी है तो इन्हे मेरे commands को स्वीकार करना ही है। इस feeling को

    हम बढ़ाएँगे। “मन तो मेरी मानता नहीं, मन तो बहुत भटकता है, मेरी बुद्धि को तो पता नहीं

    क्या हो गया, इसमे तो याद ही कुछ नहीं रहता, मेरी बुद्धि तो बड़ी खराब हो गयी, कमजोर

    हो गयी”- ये नहीं। “ये मेरी बुद्धि है, सुंदर बुद्धि है,” अपने मन और बुद्धि को सभी विद्यार्थी

    अपना friend मान ले, friend बना ले, मान ले कि “हे मेरे मन तू मेरा मित्र है, हे मेरी बुद्धि

    तू मेरी मित्र है “ फिर क्या करेंगे- बुद्धि को जैसे अपने सामने देखें और एक विचार दे कि

    “हे मेरी बुद्धि जो मैं पढ़ूँ तू सबको याद कर लेना” और जब exam हो सबको emerge

    कर देना, प्रकट कर देना तो इससे इतना अच्छा अनुभव होगा कि जब exam आयेगा तो

    जो पढ़ा है वो सब याद आयेगा, भूलेगा कुछ भी नहीं। और ऐसे ही इसमे मैं जोड़ दूँ – जब

    exam देने जा रहे हो तब एक बार याद कर ले” मैं master almighty हूँ, हे मेरी बुद्धि जो

    भी तुमने आज तक अपने अंदर भरा है, जो मैंने आज तक पढ़ा है, अब सबको emerge कर दो”

    तो जब questions पढ़ेंगे तो फटाफट उसका flow बुद्धि मे आने लगेगा और enjoy करेंगे exam को

     

    रूपेश जी    ……..    बिलकुल…तो ये जो तीसरी practice है जो आपने हमलोगों

    के सामने रखी कि मन और बुद्धि दोनों ही जैसे अंग है आत्मा के और मन और

    बुद्धि दोनों को ही जैसे हम direction दे, दोनों को ही आदेश दे कि मैं जो पढ़ूँ

    उसे वो साथ-साथ ग्रहण कर ले और जब चाहे तब वो emerge हो जाए exam के

    समय। तो ये practice भ्राताजी कितनी बार करे दिन मे? जैसे आपने सुबह

    कहा दो practices……..

     

    बीके॰ भ्राता सूर्या जी  …………….   देखिये ये practice कुछ ऐसे है कि एक बार

    तो सवेरे उठते ही कर ले कि आज जो मैं पढ़ूँ और जब-जब भिन्न-भिन्न तरह की

    study करे, मान लो tuition पढ़ने जा रहे है तब तो खैर tuition कोई पढ़ेगा नहीं ,

    exam की preparation करेगा। मान लो आज हमे दो subject की तैयारी करनी

    है या दो कितबे पढनी है या दो questions ही हमे तैयार करने है तो हरेक से पहले

    एक-एक बार कर लो “ मैं master almighty, मन ,बुद्धि मेरी शक्तियाँ है” और बुद्धि

    को आदेश दे दो “ हे मेरी बुद्धि जो मैं अब पढ़ूँ, सब याद कर लेना और exam मे

    उसे emerge कर देना…”

     

    रूपेश जी   ……………..  बहुत सुंदर……ये तीन सुंदर practices भ्राताजी आपने

    कही हैं बहुत ही सुंदर, मुझे लगता है कि विद्यार्थी जरूर इन पर अमल करेंगे और

    इनका लाभ उठाएंगे, experiment भी वो करके देख सकते है जो आपने कहे है

    कि experiment करे और result देखे कि कैसा होता है। भ्राताजी आज के सुंदर

    tips के लिए और हमारे विद्यार्थियो को सुंदर विचार देने के लिए आपका

    बहुत-बहुत-बहुत- धन्यवाद……

     

    दोस्तो आपने देखा बहुत सुंदर आध्यात्मिक tips आज हमे प्राप्त हुए है जिनके

    आधार पर हम अपनी performance को बहुत अच्छी कर सकते है और साथ

    ही साथ हमारे अंदर जो fear है हम उसे दूर भी कर सकते है। हम जो रिज़ल्ट

    चाहते है वो result हम प्राप्त कर सकते है, ये एक बहुत अच्छी gift हमे आज

    प्राप्त हुई है जो भ्राताजी ने कहा कि किस प्रकार morning मे उठते ही सात

    बार लिखे जीतने percentage हम चाहते है और साथ ही दूसरी बात उन्होने

    कही कि किस प्रकार अपने sub-conscious mind मे हम वो डाले कि

    “मैं master almighty हूँ, almighty की संतान और मैंने जो prepare किया है

    वही आएगा।“ और तीसरी जो practice उन्होने कही बहुत सुंदर कि मन और

    बुद्धि दोनों को ही आदेश दे कि “तुम वो ग्रहण करते जाओ जो मैं पढ़ रहा हूँ और

    जब exam हो तब उसे emerge कर देना।“ तो बहुत सुंदर spiritual practices

    है जो हमारे काम की है, हमारी मदद करेगी, हमे सफलता दिलाएगी। इनका

    अभ्यास आप अवश्य करेंगे। सफलता आपके कदम चूमेगी। आज के लिए समाधान

    मे इतना ही। दीजिये इजाजत अपने मित्र को, नमस्कार……………..

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