Samadhan  Episode – 000117 Parents Problems

CONTENTS :

1) सामना करने की शक्ति की आवश्यकता।

2) राजयोग के द्वारा विशेषताओं की धारणा।

3) अचल-अडोल स्थिति से सफलता की प्राप्ति।

 

रुपेश जी — — — — — नमस्कार! आदाब! सत् श्री अकाल! मित्रों! स्वागत है एक बार

पूनः आप सभी का समाधान कार्यक्रम में। मित्रों आप जानते है की बड़ा कैसे बनता

है? दाल को रात में भिगाया जाता है, पूरी रात वो पानी में भीगा रहता है। सुबह

उसकी अच्छी तरह धुलाई की जाती है, धुलाई होने के बाद उसकी घिसाई की जाती

है, घिसाई करने के बाद उसकी पिटाई की जाती है और पिटाई करने के बाद

उसको गरम-गरम तेल में डाला जाता है। जब इतना कुछ वो सहता है तब जा कर

के बड़ा बनता है, फ्री में ही वो बड़ा नहीं बनता। वैसे ही जब जीवन में विपत्तियाँ

आती है, समस्याएँ आती है, तो ये हमें निखारती है हमे शिखर की ओर ले चलती

है, हमे बुलंदियों की ओर ले चलती है। यदि हम ऐसी मानसिकता बना के रखे तो

निश्चित रूप से जीवन श्रेष्ठ मार्ग पर आगे बढ़ता है।

 

आइये इसी शुभ संकल्प और शुभ विचार के साथ आज के इस कड़ी को शुरुआत

करते है और अभिनन्दन करते है आदरणीय सूर्या भाईजी का! भ्राताजी आपका

बहुत बहुत स्वागत है! (भ्राता जी — — Thanks! थैंक्स!) भ्राताजी संसार में जो भी

शिखर पर पंहुचा है हम देखते तो ये है की ये शिखर पर पंहुचा लेकिन हम ये नहीं

देखते की उसने कितनी कठीन चढ़ाई चढ़ी या कितनी सारी विपत्तियों को सहा!

वास्तव में बड़ा बनना सहज नहीं होता और यदि हम बड़ा बनना चाहते है तो हमें

इन तमाम तकलीफों के लिए तैयार रहना चाहिए।

 

बी.के. भ्राता सूर्या जी — — — — — एक व्यक्ति ने ऐसी कहानी सुन कर, पढ़ कर

विघ्नों का आह्वान करना शुरू कर दिया और उसके जीवन में इतने विघ्न आने

लगे वह दुखी होके मुझे फ़ोन (phone) किया (रुपेश जी — — मैं बड़ा नहीं बनना

चाहता!) की ‘आप कहते थे कि विघ्नों से घबराओ नहीं, उनका तो आह्वान करों!’

‘मैंने तो ऐसे ही आह्वान किया था की दो-चार आयेंगे तो मैं उन्हें पार कर लूँगा,

मेरी शक्तियां बढ़ जायेंगी! विवेक बढ़ जायेगा! (रुपेश जी — — जी!) ये तो लगातार

आते जा रहे है, अब क्या करूँ!’ तो मैंने कहा कोई बात नहीं तुमने आह्वान कर

लिया, तो आह्वान तो करना नहीं चाहिए, वो तो बिना आह्वान के बहुत आ रहे है!

चलो तुमने कर ही लिया, अब अपनी शक्तियों को जागृत करते हुए ये अभ्यास

करो “मैं विघ्न विनाशक हूँ”। तो बहुत ज्यादा अभ्यास कर लो तो आने वाले विघ्न

सभी नष्ट हो जायेंगे। तो ये तो सत्य है की विपत्तियों से मनुष्य को डरना नहीं

चाहिए क्यूंकि अगर हम डरते है तो विपत्तियाँ हमारा बुरी तरह से पीछा करती है

फिर क्या होता है की छोटी छोटी बात भी हमें बड़ी नज़र आने लगती है। (रुपेश

जी — — जी!) तो शिवबाबा ने अपना ज्ञान देते हुए हमे एक बहुत अच्छी बात कही

‘बातें बड़ी नहीं होती, तुम सोच-सोच कर उन्हें बड़ा बना देते हो’! कभी कभी बात

बहुत छोटी होती है, अनुमान वश, बहुत ज्यादा सोचने की आदत होती है किसी

कसी को उसके अधीन हो कर मनुष्य सोचते-सोचते एक छोटी बात को भी तूफ़ान

के रूप में सामने देखने लगता है! छोटी छोटी बातें भी जीवन में बहुत आती है

अगर हम उनको सहज भाव से ले और एक कल्याणकारी भावना से सुने की भई

दूसरा व्यक्ति मुझे कह रहा है मेरे फायदे के लिए! जितना मैं अपने को करेक्ट

(correct) करूँगा, अपने को सुधारता जाऊंगा, अपने काम में और एक्सपर्ट

(expert) होता जाऊंगा (रुपेश जी — — उतना आगे बढ़ता जाऊंगा!), मेरी ही उन्नति

होगी। तो वो तो मेरे कल्याणकारी हैं, बहुत अच्छा कह रहे हैं, उन्हें धन्यवाद दूँ तो

मुझे वो चीज समस्या लगेगी ही नहीं!

 

रुपेश जी — — — — — बिल्कुल! बिल्कुल! भ्राताजी चलिये इन्ही सुन्दर बातों के साथ

आज आपको मेल (mail) की ओर लिए चलता हूँ। ये रुपलजी वरोद्रा (Varodra)

से लिख रही है, ये कहती है कि “मेरा पंद्रह साल का लड़का हैं, उसका वजन 32kg

हैं और वो दसवी कक्षा में पढ़ता हैं। सिवाय साइकिल के वो किसी भी वाहन में

सवारी नहीं करता हैं और उसका वजन भी नहीं बढ़ रहा हैं। इसके पिता डॉक्टर हैं,

इसके पिता का स्वाभाव बच्चे जैसा हैं, दोनों लड़ते हैं। अब मैं इनकी लड़ाई में क्या

करू! और इसका वजन कैसे बढ़ेगा, कैसे उसे वाहन की सवारी कराये? कृपया मदद

करीये – रूपल, बरोद्रा”। (“I have a 15years boy, his weight is 32kg and

he is studying in 10th standard. He is not able to ride any vehicle

except bicycle and he is not able to increase his weight. His father

is a doctor. Father’s nature is child-like, they both fight with each

other. Then what I can do when they fight! And how to increase his

weight, how to help him to ride a vehicle? Please help! – Rupal

Varodra.”)

 

बी.के. भ्राता सूर्या जी — — — — — When they fight, Rupal must be light. (जब

वे लड़ते हैं तो रूपल को हल्का रहना चाहिए।) यही होना चाहिए! (रुपेश जी — —

इस स्लोगन (slogan) को लिख लेना चाहिए) दोनों लड़ रहे हैं! एक बच्चा है ही

दूसरा बाप भी बच्चा बन गया, तो इसको ही बड़ा बनना चाहिए और लाइट (light)

रहना चाहिए की उनकी लड़ाई भी एक एन्जोय्मंट (enjoyment) है क्यूंकि बच्चें

का वेट (weight) भी कम है हो सकता है इससे उसको चिड़चिड़ापन ज्यादा रहता

होगा, (रुपेश जी — — बौधिक विकास भी शायद नहीं!) बौधिक विकास भी कम हो

रहा हो और बाप खुद डॉक्टर (doctor) है वो भी तो कुछ कर नहीं पा रहा होगा

उसके वेट (weight) को बढ़ाने के लिए। कुछ न कुछ कारण होगा कोई डेफिशियेंसी

(deficiency) कोई ब्रेन (brain) का अंग, कोई शरीर का अंग स्प्लीन, लीवर

(spleen, liver) उसका अच्छा काम नहीं कर रहा होगा तो ये तो मेडिकल

आस्पेक्ट (medical aspect) है इसको अच्छी तरह से और अच्छे doctor से इन्हें

दिखा लेना चाहिए और कोई भी कमी ऐसे काम कर रही है, खून नहीं बन रहा है

या भोजन हजम नहीं हो रहा है, कौन सी बात है! उसको ठीक करना चाहिए

क्यूंकि father (फादर) खुद डॉक्टर (doctor) हैं तो उसे अच्छे डॉक्टर्स (doctors)

से अपने बच्चे का इलाज करना चाहिए! (रुपेश जी — — जी! उनको लड़ने के बजाय

उसे डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए!) हाँ! छोटा बच्चा इसलिए लड़ता हो की तुम

मेरे लिए कुछ नहीं कर रहे हो, तुम कैसे पापा हो, पापा हो या पापी हो! ऐसा भी

तो सोच सकता हैं! तो वास्तव में ये उनका परम कर्त्तव्य है लेकिन इनको रुपलजी

को कुछ आध्यामिक प्रैक्टिस (practice) अपने बच्चे के लिए कर लेनी चाहिए।

 

(रुपेश जी — — जी!) जो मैं दो तीन प्रैक्टिस सजेस्ट (practice suggest) कर देता

हूँ। मेडिकल (medical) ये परामर्श भी ले और इलाज भी अच्छा कराये क्यूंकि

बच्चे का तो पूरा जीवन है न आगे। आज उसका सब कुछ ठीक कर लिया जायेगा

तो वो जीवन भर वो सुखी रहेगा और आज केयरलेसली (carelessly) ऐसे चला

दिया जायेगा तो बच्चे को सफर (suffer) करना पड़ेगा! (रुपेश जी — — और इनके

लिए ही परेशानी होगी।) बिल्कुल! ये हो सकता है इन्हें उसको संभालना पड़े फिर

पूरा जीवन। तो एक तो इन्हें चार्जड पानी (charged water) पिलायेंगे! (रुपेश जी

— — जी!) क्यूंकि शारीर में 70% से ज्यादा पानी होता हैं इसलिए पानी को चार्ज

(charge) करें उसको एनर्जेटिक (energetic) कर दे और उसका तरीका है की

पानी के गिलास (glass) को दृष्टी दे कर सात बार बहुत अच्छी तरह सच्चे दिल

से संकल्प करेंगे ‘मैं मास्टर ऑलमाइटी हूँ’, ‘मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ’, दृष्टी देते

रहे तो दृष्टी से शक्तियों की किरणें पानी में समाती रहेगी। पानी पर अन्य

वाइब्रेशनस का बहुत प्रभाव होता है (Water is very sensitive to other

vibrations), तो पानी चार्ज (charge) हो जायेगा, पानी एक बहुत पावरफुल

टॉनिक (powerful tonic) बन जायेगा इसके बहुत सारे एक्सपेरिमेंट

(experiment) हुए है! (रुपेश जी — — जी!) अब ये बच्चे को दे, शुभ भावना से कि

इसको पीने से इसके बॉडी (body) का अच्छा ग्रोथ (growth) हो, स्ट्रेंथ

(strength) आ जाये बॉडी (body) में, इसकी बुद्धि का भी विकास हो! अच्छे

अच्छे संकल्प करें! ऐसा पानी उसको दो – चार बार पिलाये और जब वो स्कूल में

जाता हैं तो पानी के लिए कुछ तो ले के ही जाते है बच्चे, उस पानी को भी चार्ज

(charge) कर के उनके बोतल (bottle) में या जा कुछ भी ले के जाते हैं उसमें

भर के देवे। तो एक तो इससे बहुत फायदा होगा दूसरा रूपल को चाहिए कि ये

अब बच्चे के ब्रेन (brain) को एनर्जी (energy) देंगी! क्यूंकि माँ का बहुत गहरा

कनेक्शन (connection) बच्चे से होता हैं, माँ की वाइब्रेशनस (vibrations) को

बच्चा तुरंत ग्रहण कर लेता हैं। तो ये क्या करेंगी दोनों हाथ ऐसे मलते हुए तीन

बार अभ्यास करेंगी ‘मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ’, (रुपेश जी — — जी!) तो इनके

हाथों से शक्तियां वाइब्रेट (vibrate) होंगी और उसको इस बच्चे के दोनों तरफ सिर

पर रख देना एक मिनट तक और संकल्प करेंगी इससे इसका ब्रेन परफेक्ट (brain

perfect) हो जाये, स्ट्रोंग (strong) हो जाये, फुल्ली (fully) काम करने लगे, एक

मिनट रखेंगी तो बच्चे के ब्रेन (brain) को एनर्जी (energy) जाएगी। फिर दुबारा

करें ‘मैं मास्टर सर्व शक्तिवान…’ तीन बार फिर एक मिनट रखे, ऐसा पांच बार

सवेरे करें जब वो स्कूल (school) जाये उसके पहले और पांच बार जब वो घर आ

जाये तब करें। 10-दस मिनट उसके brain को भी एनर्जी (energy) देंगे और साथ

में उसको भोजन फ्रूट्स (fruits) आदि ये सब दे जो बहुत एनर्जी (energy) देते हो

बॉडी (body) को, आजकल कई चीज़ें बाज़ार में भी आ गयी है, मेडिकल साइंस

(medical science) ने भी निकालदी है। तो इस तरह से यदि बच्चे का किया

जायेगा मेडिकल (medical) भी और ये स्पिरिचुअल (spiritual) भी तो दोनों से

मिल के बच्चे का ग्रोथ (growth) अच्छा होगा और उसका भविष्य सुन्दर होगा।

 

रुपेश जी — — — — — और भ्राताजी जो दूसरी बात इन्होंने भेजी है कि किसी भी

वाहन में ये नहीं चड़ता हैं केवल साइकिल (cycle) पे ही चड़ता है तो इसके लिए

भी क्या सलूशन (solution) हो सकता है?

 

बी.के. भ्राता सूर्या जी — — — — — इसके मन में हो सकता हैं की इसके अन्दर डर हो

क्यूंकि इसकी जो ग्रोथ (growth) नहीं हो रही है तो पूर्व जन्मों का कोई ना कोई

भय हो सकता हो इसके सब कोन्सिअस माइंड (sub conscious mind) में समां

गया हो। इसकी मृत्यु किसी वाहन पर बैठने से हुई हो, मान लो स्कूटर (scooter)

चला रहा हो, एक्सीडेंट (accident) हो हो गया हो तो scooter देखते ही इसको

डर लगता हैं या ये कार (car) में बैठा हो और कार (car) का एक्सीडेंट

(accident) हो गया हो तो कार (car) से इसको डर लगता है ये पूर्व जन्मों के

संसकार मनुष्यों के साथ चले आते हैं! और हो सकता है वो डर ही इसके ब्रेन

(brain) को, बॉडी (body) को ग्रोथ (growth) न होने दे रहा हो, ये भी संभव है।

(रुपेश जी — — जी!) इसलिए इसके डर को निकलना परम आवश्यक हैं! तो इसको

थोड़ा थोड़ा माँ बैठ के ज्ञान दिया करे रोज़ ‘तुम तो आत्मा हो, अमर हो! देखो ये

आत्मा यहाँ (forehead) रहती है ये शरीर वस्त्र है! तुम अजर अमर अविनाशी

आत्मा हो! आत्मा कभी मरती नहीं, आत्मा कभी जन्मी नहीं, ये जन्म और मृत्यु

तो बॉडी (body) के है ये पूर्णजन्म तो बॉडी (body) के साथ है, तुम तो अमर

आत्मा हो! मृत्यु से कभी नहीं डरना चाहिए, मृत्यु तो ऐसे ही है जैसे हमें एक

वस्त्र उतार कर दूसरा वस्त्र पहन लेते है, मृत्यु और कुछ भी नहीं है ये तो बस

एक वस्त्र बदलने का नाम है!’ ऐसा उसको थोड़ा थोड़ा ज्ञान दो – दो मिनट रोज़

देंगी तो बच्चा जल्दी ग्रहण कर लेता हैं! और मृत्यु का जो पस्त का उसके अन्दर

भय है वो निकल जायेगा! एक और चीज अच्छी बच्चे को ये सिखा दिया जाये की

वो जैसे ही माँ वच्चे को उठाये सवेरे नींद से क्यूंकि उसको उठाना ही पड़ता होगा

उसे! उसका जो वीकनेस (weakness) है वो उसको उठने नहीं देती होगी तो उठाते

ही उससे कहलवायेगी सात बार “मैं मास्टर सर्व शक्तिवान हूँ, निर्भय हूँ”, बच्चा ये

बोले सात बार बोले तो शक्ति आती जाएगी भय खत्म होता जायेगा! और एक

तीसरी बात भी बहुत सुन्दर कि माँ को रूपल को एक विज़न (vision) बनाना है

कि मेरा बच्चा ६ (6) मास में उसका वेट (weight) इतना हो गया है, एक चित्र

देखे उसका अपने सामने, एक्टिवा (Activa) पे दोड़ा चला जा रहा है और उसमें

बहुत निर्भयता आ गयी है, अब वो बहुत एक्टिव (active) हो गया है! उसका वेट

(weight) भी थोड़ा सा देखे बढ़ गया है, लम्बाई बढ़ गयी है, अच्छा ग्रो (grow)

कर रहा है। एक अच्छा विज़न (vision) उसका एक अच्छा चित्र बना ले, ६ मास

के बाद ये बच्चा अब ऐसा होगा (रुपेश जी — — जी! 32 से 42, या 52!) हाँ! 42

करें पहले इतना ज्यादा न बढ़ाये! 42 करें पहले! फिर अगले ६ मास (six month)

में और १० किलो बढ़ाये! इस तरह से ये विज़न (vision) भी बनाएगी तो निश्चित

रूप से ये सब काम करेंगे, उनकी लड़ाई पूरी हो जायेगी!

 

रुपेश जी — — — — — बिल्कुल! बिल्कुल! इनका पूरा ग्रोथ (growth) होगा, निश्चित

रूप से लड़ाई भी कम होती चली जाएगी! चलिये भ्राताजी रूपल जी को बहुत

उम्मीद….इन्होंने कई बार हमे मेल किया लेकिन अनेक मेल होने के कारण हम

बाद में इनका मेल शामिल कर पाए है! रुपलजी आपने इंतज़ार किया उसके लिए

क्षमा चाहेंगे! अब बहुत सारे प्रश्न होते है इसलिए कई बार आपके प्रश्न के उत्तर के

लिए आपको इन्तज़ार करना पड़ता है लेकिन आप बने रहियेगा समाधान के साथ,

निश्चित रूप से हम आपके सभी प्रश्नों को कार्यक्रम में शामिल करेंगे!

भ्राताजी एक एस.एम.एस (sms) हमारे पास आया हुआ है इस एस.एम.एस (sms)

में ये कहते है कि “ओम शांति! हम दस सालों से ज्ञान में चल रहे है और हम

बचपन से ही ज्यादा होशियार नहीं थे, कम बुद्धि वाले थे लेकिन हमे अभी लगता

है की हम भगवान् के बने है, तो बहुत बुद्धिवान होने चाहिए और हर बात में

होशियार होने चाहिए! तो हमें क्या करना चाहिए की हमारी बुद्धि विकसित हो

और ये कमजोरी दूर हो?”

 

बी.के. भ्राता सूर्या जी — — — — — वाह! बड़ा अच्छा क्वेश्चन (question) है! पहले तो

मैं इन्हें अप्रिसिएटे (appreciate) करूँगा कि इन्हें अपने कम बुद्धि होने का

अहसास है। (रुपेश जी — — बिल्कुल! नहीं तो लोग मानते है इस चीज को!) प्राय

लोग कम बुद्धि वाले सोचते हैं कि हें! मेरे जैसा कोई नहीं, ईगो (ego) रहता है!

(रुपेश जी — — जी! जी! जी!) एम.ए (M.A.) कर लिया चाहे थर्ड क्लास (3rd

class) ही किया हो लेकिन नशा बहुत रहता है…(रुपेश जी — — कि हम एम.ए

(M.A.) किये हुए हैं!) तो बहुत अच्छी बात है और जिसको अपनी कमीयों का

अहसास होता है जीवन में वह महान है (is great)! जो अपनी कमीयों को

स्वीकार कर लेता है और उनमें बदलाव चाहता है (रुपेश जी — — जी!) उसकी

कमीयों में बदलाव अवश्य आता है तो मुझे पूर्ण विश्वास है इनकी बुद्धि का भी

विकास होगा! मैं कुछ सजेशन्स (suggestions) दे रहा हूँ, एक तो इन्हें रोज़ आधा

घंटा एक टाइम फिक्स (time fix) करके इसी पर्पस (purpose) के लिए योग

अभ्यास करना है, राजयोग मैडिटेशन (meditation)! और उसमें ऐसा करना है “मैं

परम पवित्र आत्मा हूँ” (यहाँ भृकुटी में) और परम आत्मा पवित्रता के सागर है,

उससे पवित्र किरणे सफ़ेद विब्रेशंस (vibrations) मुझे आ रहे हैं, आत्मा में समां

रहे हैं और आत्मा से जा रहे पुरे ब्रेन (brain) को! (रुपेश जी — — जी!) जैसे ब्रेन

(brain) उन पवित्र विब्रेशन (vibration) से भर गया है और संकल्प करें इससे मेरी

बुद्धि का विकास हो रहा हैं, आधा घंटा रोज़ ये अभ्यास इन्हें रोज़ करना हैं! एक

प्राणायम भी इनको कर लेना चाहिए, अनुलोम विलोम प्राणायम ये, इससे बहुत

अच्छा होता है क्यूंकि इससे ब्रेन (brain) को ऑक्सीजन (oxygen) जाती हैं!

तीसरी चीज़ इन्हें करनी चाहिए, ये बहुत अच्छी तकनीक (technique) है की जब

सवेरे उठे, उठते ही पांच बार संकल्प करें “मैं बुद्धिमान हूँ” और भी शब्द फिर

इसमें जोड़ दे “मेरे पास सत् बुद्धि हैं” और एक शब्द जोड़ दे “मेरे पास दिव्य

बुद्धि हैं”, “मैं बहुत बुद्धिमान हूँ”, “मैं उस भगवान् का बच्चा हूँ जो बुद्धि का

दाता हैं, उसने मुझे बहुत सुन्दर बुद्धि दी हैं”, “मैं बहुत बुद्धिमान हूँ” – ये संकल्प

रोज़ पांच बार भिन्न भिन्न शब्दों के साथ करेंगे बुद्धि का विकास होने लगेगा

क्यूंकि उस टाइम (time) सब कोन्सिअस माइंड (sub conscious mind) जागृत

होता हैं। हमेशा याद रखना है एक सिद्धांत जब किसी मनुष्य का मन शांत होता

हैं तो बुद्धि का विकास होने लगता हैं, उसकी ग्रहण शक्ति बहुत बढ़ जाती है।

जिन लोग को कम बुद्धि है, जो महसूस करते हैं परीक्षाओं में अच्छे अंक नहीं

आते उनका मन ज्यादा विचलित होता है, चाहे वो पूर्व जन्मों के कारण हो, चाहे

इस जन्म के कारण हो, चाहे उनके संग के कारण हो, चाहे आजकल जो ये टी.

वी. (T.V.) आदि चल रहे उनके कारण हो! तो जिसका मन जितना भटक रहा है

मन की स्पीड (speed) जितनी ज्यादा है, जो मनुष्य बहुत सोच रहा है; बैठे है

क्लास (class) में और सोच रहे है खेल की, बैठे है क्लास (class) में सोच रहा है

आज फलाने दोस्त ने मुझे ये कहा था, देखा मेरा इन्सल्ट (insult) कर दिया! तो

मन जिनका डिस्टर्ब (disturb) होगा बुद्धि उनकी विकसित नहीं होती है! तो इन्हें

मन को शांत करना चाहिए और इसके लिए बहुत अच्छा तरीका अपनाना चाहिए

स्वमान का अभ्यास, जिसको हम सेल्फ रेस्पेक्ट (self respect) कहते हैं, सेल्फ

एस्टीम (self esteem) कहते हैं। इसकी पांच बातें मैं बार देता हूँ इनको यहीं पर-

पहला देखो हम भगवान् के बच्चे हैं तो हम महान आत्माएं हैं, पहला संकल्प ये

करेंगे “मैं एक महान आत्मा हूँ”; दूसरा संकप्ल करेंगे वो सर्वशक्तिवान हैं तो “मैं

मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ”; तीसरा संकल्प करेंगे “मैं कल्प कल्प का विजयी रतन हूँ”

और चौथा संकल्प करेंगे “मैं विश्व कल्याणकारी हूँ”; पांचवा संकल्प करेंगे “मैं परम

पवित्र आत्मा हूँ”! इन संकल्पों से वो जो बेकार के संकल्प हैं वो नष्ट होते रहेंगे

और बुद्धि का बहुत अच्छा विकास होगा। एक स्थूल चीज भी मैं बता देता हूँ ये

रोज़ पांच बादाम रात को भिगाए औए सवेरे छिल कर उनको मक्खन मिष्टी से

खाए; मज़ा भी आयेगा और बुद्धि का विकास भी हो जायेगा!

 

रुपेश जी — — — — — बहुत सुन्दर! बहुत अच्छी बात भ्राताजी आपने कही, इन्होंने जो

बात कही हैं वास्तव में बुद्धि के विकास के लिए मुझे लगता है कि इनकी ही बात

नहीं है हर एक जो हमारे दर्शक देख रहे हैं कार्यक्रम को, हर एक चाहेगा की उनके

पास सत् बुद्धि हो, दिव्य बुद्धि हो, इतने बुद्धिमान हो जो हर समस्या का

समाधान सहज रूप से कर सके (भ्राताजी — — बिल्कुल!) और हर क्षेत्र में सफलता

के लिए बुद्धि की आवश्यकता होती है! तो भ्राताजी जो अभ्यास आपने इनको दिए

है वही अभ्यास क्या हमारे सभी दर्शक कर सकते है?

 

बी.के. भ्राता सूर्या जी — — — — — एक्चुअली (actually) ये सभी के लिए समान रूप

से उपयोगी हैं। (रुपेश जी — — जी!) बस अपनी बुद्धि को थोड़ा हल्का रखे, टेंशन

(tension) से, डिस्टर्बेंस (disturbance) से, व्यर्थ की बातों से, मूड ऑफ (mood

off) इन सब से अपने को बचायेंगे और ब्रेन (brain) को एनर्जी (energy) भी दी

जा सकती हैं (रुपेश जी — — जी!) जैसे मैंने पिछली बार बताई थी ‘मास्टर सर्व

शक्तिवान…’ का अभ्यास करके एक मिनट रखे और संकल्प करें मेरा ब्रेन (brain)

के सभी अंग फुल्ली एक्टिव (fully active) हो जाये तो इससे भी ब्रेन (brain)

जागृत रहेगा क्यूंकि कई चीज़ें उसमे ब्लाक (block) हो जाती हैं! (रुपेश जी — —

जी!) तो इस तरह सबकी बुद्धि का विकास होगा!

 

रुपेश जी — — — — — भ्राताजी जैसे आपने कहा की बुद्धि के विकास के लिए आधे

घंटे विशेष आपने कहा योग अभ्यास किया जाये, ख़ास इसी लक्ष्य से कि मेरी

बुद्धि विकसित हो! क्या अन्य कलाओं की या विशेषताओं के विकास के लिए भी,

जैसे बहुत सारे कलाएं हैं, हम चाहते है की हम किसी फलाने कला में चाहे वो

भाषण की कला है, चाहे लेखन की कला हैं, संगीत की कला है इसमें भी हम

परफेक्ट (perfect) हो जाये, बहुत विकास करें, तो क्या इसके लिए भी इस प्रकार

योग अभ्यास किया जा सकता हैं?

 

बी.के. भ्राता सूर्या जी — — — — — बहुत अच्छा क्वेश्चन (question) आपने रखा हैं!

1977 में (रुपेश जी — — जी!) मैंने ऐसे ही कुछ अभ्यास किये हैं और ईश्वरीय

महावाक्यों से तब मुझे जानकारी मिली कि एकाग्रता के द्वारा हम टेलेंट्स

(talents) का आह्वान कर सकते हैं! तो मेरी ये बात बहुत समझ में आई, तब

मुझे कुछ गीत लिखने थे, हमारे यहाँ कोई भी गीत लिखने वाला नहीं होता था

मुझे…. हमारी दीदी मनमोहिनी होती थी (Chief of Brahma Kumaris) हम

उनसे बहुत क्लोज (close) थे तो ऐसे ही उन्होंने एक दिन क्लास (class) में

टॉपिक (topic) दिया सेल्फ कॉन्फिडेंस (self confidence) इस पे लिख के लाओ!

तो मैं भी लिख के ले गया, तो उनको बहुत पसंद आया कहा तुम तो ज्ञान अमृत

के लिए लिखा करो, मैगज़ीन है हमारी ज्ञान अमृत उसके लिए लिखा करो! तो मुझे

ये दोनों संकल्प थे के मैं अच्छे लेख भी लिख पाऊँ और अच्छे गीत भी लिखूं! तो

मैंने एकाग्रता के द्वारा इन दोनों चीज़ों का आह्वान किया! एकाग्रता कैसे जब हम

योग अभ्यास करते हैं उसमे परमात्मा स्वरुप पर एकाग्रता, लम्बा समय, दस

मिनट से ज्यादा और ऐसा कई बार किया तो हमारे ब्रेन (brain) की वो शक्तीयाँ

विकसित होने लगी और बीच में संकल्प किया के मेरे अन्दर जो कवीत्व हैं वो

उभर जाये, इमर्ज (emerge) हो जाये! (रुपेश जी — — जी!) तो उस एकाग्रता की

शक्ति से ब्रेन (brain) की शक्ति कवीत्व के तरफ टर्न (turn) हो गयी और मेरे

को अच्छे गीत लिखने का जैसे एक वरदान जैसा प्राप्त हो गया! तो मैं पांच मिनट

में गीत लिखने लगा, पांच सात मिनट में एक गीत तैयार कर देता था! फिर ऐसे

लिखने की बारी आई तो मैंने इस कला का भी आह्वान किया, इसी तरह,

एकाग्रता का योग में अभ्यास करते हुए कि ‘मैं एक अच्छा लेखक हूँ’ और ब्रेन

(brain) ने उसको एक्सेप्ट (accept) कर लिया और ब्रेन (brain) में वो शक्तियां

इमर्ज (emerge) हो गयी! तो ये दो चीज़ों में मैंने शुरू में बहुत अच्छा किया था

तब से मुझे ये अनुभव हैं कि किसी भी कला को हम डेवलॉप (develop) करना

चाहते हो, कोई भी नया टैलेंट (talent) भी हम प्राप्त करना चाहते हो तो हम

राजयोग में एकाग्रता के द्वारा उसका आह्वान करें इस तरह, निश्चित रूप से हम

सफल होंगे!

 

रुपेश जी — — — — — बिल्कुल! बहुत सुन्दर बात भ्राताजी आपने कही हैं, क्यूंकि लोग

इन कलाओं के विकास के लिए कितना समय, कितनी एनर्जी (energy), कितनी

मनी (money) मतलब लगाते हैं वैस्ट (waste) करते हैं! यदि हम केवल राजयोग

के अभ्यास के द्वारा इनका आह्वान करें तो निश्चित रूप से कितनी ज्यादा

कलाओं से हम सम्पन्न हो सकते हैं तब सफलता हमारे जीवन में आ जाये!

 

बी.के. भ्राता सूर्या जी — — — — — हाँ! इसमें यही होता हैं कि मान लो एक व्यक्ति

गायन कला का अभ्यास कर रहा हैं, आजकल सिखाया भी जाता हैं। अब वो कहीं

कहीं असफल हो रहा हैं, उसमे कोई छोटा सा प्रोग्राम (program) दिया और वो

फ़ैल (fail) हो गया उसका, तो उसको बहुत निराशा भी आती हैं और कई तरह के

मन में विचार फिर उठते हैं! लेकिन अगर सिखने के साथ हम ये अभ्यास भी चालू

रखे (रुपेश जी — — जी!) और साथ में और अच्छा अभ्यास करें ‘मैं मास्टर सर्व

शक्तिवान हूँ, सफलता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार हैं’ – तीन बार, पांच बार, सात

बार ये संकल्प करके फिर हम कोई कार्य प्रारंभ करें उस कला से सम्बंधित तो हमें

सफलता भी बहुत मिलेगी और जब सफलता मनुष्य को किसी कला में मिलती हैं

तो वो विकास को प्राप्त होती रहती हैं!

 

रुपेश जी — — — — — बिल्कुल! बिल्कुल! आपके सुन्दर अनुभव निश्चित रूप से हमारे

दर्शकों को भी प्रेरित करेंगे कि वो जिस भी कला का अपने जीवन में प्राप्त करना

चाहते हैं राजयोग के सुन्दर अभ्यास और चिंतन से विकसित करते चले!

भ्राताजी मैं अगले मेल (mail) के ओर ले चलते हूँ आपको ये हमारे पास आया हैं

उतराखंड से, प्रज्ञाजी लिख रही है कहती हैं ‘ओम शांति मैं उत्तराखंड से हूँ। मैं दो

साल से ब्रह्माकुमरिज से जुड़ी हुई हूँ। मेरे पति भी ब्रह्माकुमरिज से जुड़े हुए थे

लेकिन अब उन्होंने ब्रह्माकुमरिज स्पिरिचुअल यूनिवर्सिटी जाना बंद कर दिया और

जब मैं जाती हूँ तो मुझसे लड़ाई करते हैं। इसलिए कृपया मेरी मदद करीये और

इस समस्या का समाधान कीजिये’। (Om Shanti! I am from Uttrakhand, I

am connected with Brahma Kumaris since two years. My husband

was also connected with Brahma Kumaris before but now he had

left the Brahma Kumaris spiritual university and fights with me when

I go there. So please help and give Samadhan of my problem.)

 

बी.के. भ्राता सूर्या जी — — — — — ये ऐसा होता है की मनुष्य जब हमारे पास आता है

राजयोग सिखने (रुपेश जी — — जी!) तो राजयोग में डिसिप्लिन (discipline) थोड़े

बहुत सुन्दर हैं, तो कभी कभी व्यक्ति उन डिसिप्लिन (disciplines) को फॉलो

करने में अपने को असंभव पाता हैं (रुपेश जी — — जी!) की भई मुझे पवित्र भोजन

खाना हैं, अब मैं तो वहां गया, वहां गया, अब मैं कहा पवित्र भोजन ढूँढ (रुपेश जी

— — सभी संबंधो के पास गया!) मैंने तो यहाँ पर खा लिया! तो उसे लगता हैं ये

लाइफस्टाइल (lifestyle) अच्छा नहीं हैं, अपना फ्री लाइफस्टाइल (free lifestyle)

अच्छा होता हैं, कुछ भी खाओ, कहीं भी घूमों फिरो, कुछ भी खाओ पियो! अभी ये

बात न करो, गुस्सा न करो, किसी को दुःख न दो, अशांति न फैलाओं – ये सब

बंधन से लगते हैं! जब वो मनुष्य आता हैं तो उसे शांति मिलती हैं, ख़ुशी मिलती

हैं तो वो कंटिन्यू (continue) करता हैं फिर जब उसे लगता हैं कि ये सब

धारणायें तो बंधन हैं, अपना फ्री (free) जीवन जियो तो वो छोड़ने लगता हैं! यही

इनके साथ हुआ कि पति पहले ज्ञान में आया उसने ज्ञान योग सिखा पत्नी को

बुलाया की दोनों ही चलेंगे बहुत अच्छी बात थी इनका भाग्य था! लेकिन फिर उसे

बंधन लगने लगा होगा तो पत्नी चलने लगी अब वो कहता होगा तुम फिर वैसे ही

चलो जैसे हम चलते थे! तो देखिये बहुत अच्छा इनको स्ट्रिक्ट (strict) रहना

चाहिए, स्ट्रोंग (strong) हो जाना चाहिए अपने डिसिप्लिन्स (disciplines) में

क्यूंकि ये सुन्दर समय दुबारा नहीं आयेगा! पांच हज़ार साल में एक बार भगवान्

आते हैं और वो अब आये हैं उनसे अपना भाग्य लेना ये भाग्यवान आत्माओं को

ही प्राप्त होता हैं! भगवान् से गीता ज्ञान सुनना देखो दिखाया है न उसमें अर्जुन

को ज्ञान सुनाया था अब वो हम सब को सुना रहा हैं डायरेक्ट (direct) भगवान् से

गीता ज्ञान सुनना आत्मा को पावन बना देना अपनी सभी शक्तियों को बढ़ा देना

और स्वर्ग स्थापना में भगवान् को साथ देना ये छोटी बात नहीं हैं। पांच हज़ार

साल में केवल अंत में कलियुग के अंत में ये भाग्य कुछ आत्माओं को मिलता हैं

तो इनको ये भाग्य मिला हैं किसी भी किमत पर इनको छोड़ना नहीं चाहिए! पति

को कह देना चाहिए तुम अपने मार्ग पर चलो ठीक हैं फ्री (free) रहो खाओ पियो

लेकिन मेरा मार्ग तो अब ये पवित्रता का मार्ग हैं भगवान की प्राप्ति हुई हैं, उसको

अपने सामने बैठा देखा हैं, उसकी पालना का अनुभव किया हैं, उसके पावरफुल

वाइब्रेशन्स (powerful vibrations) हमने अनुभव कर लिए हैं! कोई झूठी बात

नहीं, कोई कल्पना की बात नहीं, किसी ने हमको बहका नहीं दिया ये तो वो भी

जनता हैं क्यूंकि वही उनको लाया था! तो स्ट्रिक्टली (strictly) इस पे चलना! जहां

मनुष्य के पास दृढ़ता होती हैं वह दूसरा व्यक्ति भी सहयोग देता हैं!

 

रुपेश जी — — — — — चलिए एक बात तो हैं भ्राताजी कि हम बहुत ही दृढ़ता पूर्वक

इस मार्ग पर चले और नॉ डाउट (no doubt) की बहुत सारी प्राप्तियां हो रही हैं!

भगवान् को सामने बैठा देख रहे हैं, उनसे गीता ज्ञान सुन रहे हैं, ऐसा अवसर तो

फिर कभी आयेगा नहीं और इनको निश्चित रूप से बहुत सुकून, बहुत शांति मिल

रही हैं! लेकिन ये चाहती ये भी तो होंगी न कि परिवार में भी शांति रहे क्यूंकि

यहाँ से आके, मान लीजिये हम केन्द्र पर आये बहुत शांति अपने आप में भरी अब

घर में गए और वहां कलह और अशांति हो रही हैं! कहते हैं की गाड़ी के दो पहिये

हैं दोनों साथ चले तो बहुत अच्छा एक पहिया यदि खड़ा ही हो जाये तो फिर थोड़ी

अशांति का माहोल तो हो ही जाता हैं क्या करें वह की शांति के लिए?

 

बी.के. भ्राता सूर्या जी — — — — — अब इनकी जिम्मेदारी हैं बहुत अच्छी कि ये अपने

घर में भी बहुत अच्छे वाइब्रेशन क्रिएट (vibrations create) करें (रुपेश जी — —

जी!) अपने पति को भी बहुत अच्छी शुभ भावनाए दे और सबसे इम्पोर्टेन्ट

(important) चीज हैं उन्हें पवित्र भोजन खिलाए! ताकि अगर वो थोड़ा फ्रीडम

(freedom) चाहते भी हैं तो इनके पुरे सहयोगी रहे, कम से कम वो स्वीकार कर

ले की ईश्वरीय मार्ग पे चलो, ‘मैं थोड़ा ढीला हो गया हूँ पर तुम स्ट्रोंग्ली

(strongly) चलते रहो’! तो पहला हैं पवित्र भोजन खिलाना (रुपेश जी — — जी!)

और उसका वही तरीका कि योगयुक्त हो कर भोजन बनाये परमात्मा की याद में

क्यूंकि उसको पहले भोग लगाना हैं और फिर बार बार अभ्यास करें “मैं परम

पवित्र आत्मा हूँ”। तो पवित्र वाइब्रेशन्स (vibrations) भोजन में भरते जायेंगे और

खिलाते समय संकल्प दे इस भोजन को खाने से इस आत्मा का चित्त पवित्र हो

जाये, शुद्ध हो जाये! एक ये (रुपेश जी — — जी!) दूसरा इनको चाहिए सब

कोन्सिअस माइंड (sub conscious mind) का प्रयोग करना वही जो हम सबको

सिखा रहे हैं सवेरे पांच बजे, वो व्यक्ति तब सोया हैं उन्हें आत्मा देख कर तीन

मिनट तो गुड वाइब्रेशन्स (good vibrations) देंगे और फिर एक दो मिनट उन्हें

कुछ अच्छे थॉट्स (thoughts) दे, वही पहला थॉट (thought) ‘आप अच्छी आत्मा

हो’ (you are a good soul), ‘तुम बहुत अच्छी आत्मा हो’, ‘तुम तो देव कूल की

महान आत्मा हो’, ‘तुम तो भगवान् के बच्चे हो’, ‘तुम तो देवता रहे ढाई हज़ार

साल तक, अब भगवान् आया हैं जिसको तुम बुला रहे थे, अब वो तुम्हें बुला रहा

हैं जिसको तुम मिलना चाहते थे, वो अब तुमसे मिलना चाहता हैं, आ जाओ, जाग

जाओ फिर से, तुम बहुत बुद्धिमान हो, तुम बहुत भाग्यवान हो, फिर से ईश्वरीय

मार्ग पर आ जाओ’ – डेली (daily) ये करेंगी तो उनका सब कोन्सिअस माइंड

(sub conscious mind) स्वीकार कर लेगा और जो बाहर का इफ़ेक्ट (effect)

इन पर आ गया था वो समाप्त हो जायेगा और वो फिर से इनका पूरा सहयोगी

बनेगा और इनको मदद करेगा!

 

रुपेश जी — — — — — चलिए हमारी शुभ कामनाये हैं भ्राताजी की प्रज्ञाजी जो

उत्तराखंड से है जल्दी से जल्दी उनके पति उनके पुरे सहयोगी बन जाये और इनका

मार्ग निष्कंटक हो जाये! आज की तमाम चर्चाओं के लिए भ्राताजी आपका बहुत

बहुत धन्यवाद!

 

मित्रों इतिहास गवाह हैं कि कोई भी पथ ऐसा नहीं रहा हैं जो पूरी तरह निष्कंटक

हो। साथ ही साथ जितने भी महा पुरुष हुए हैं, जितने भी युग पुरुष हुए हैं, चाहे

वो क्राइस्ट (Christ) रहे हो, चाहे महावीर रहे हो, चाहे बुद्ध रहे हो, चाहे गुरुनानक

देवजी रहे हो! हर एक का जीवन आप देख ले जब इन्होंने एक सत्य राह पर

चलना प्रारंभ किया तो मार्ग में बहुत सारी बाधाएं आई! लेकिन सत्य पर विश्वास

रखते हुए, परमात्मा पर विश्वास रखते हुए ये अचल अडोल रहे और आज हम

इन्हें याद करते हैं इनसे प्रेरणा प्राप्त करते हैं! ये मार्ग भी ठीक ऐसा ही हैं जिसमें

अचल अडोल हो कर चलने की आवश्यकता हैं। ठीक हैं थोड़ी बाधाएं अवश्य आयेंगी

लेकिन अपनी दृढ़ता बनाये रखे और साथ ही साथ साथीयों को भी साथ ले कर के

चलने का प्रयास अवश्य करें क्यूंकि योग हममें ऐसी शक्ति भरता हैं जिसके

माध्यम से हम जो असहयोग कर रहे है उन्हें भी सहयोगी बना सकते है! तो

आपका जीवन निष्कंटक हो, बिलकुल ही शुद्धता से, प्यार से और शांति से

परिपूर्ण हो यही हमारी शुभ कामना है! आज के लिए इतना ही दीजिये इजाज़त,

नमस्कार!

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